उसने नदी पर लिखी कविता
वो बहकर समंदर में मिल गई...
उसने फूलों पर लिखी कविता,
इक रोज़ उन पर तितली बैठ गई...
उसने पत्तों पर लिखी जब कविता
बेमौसम सारी पतझड़ में गिर गई
जिस जिस पर उसने लिखा
वो सब उसे छोड़ कर चली गई
तुम जानना चाहती थी न कि तुम पर
कोई कविता क्यूँ नहीं लिखी गई...- अभिषेक नागर
8 DEC 2018 AT 19:44