गुज़ारिश है तुमसे ,
एक बार को ही सही मिलने आना ज़रूर,
आख़र को ही सही गिनाने आना मिरे क़ुसूर,
जब आंखों पे सजे काले छल्ले होंगे,
जब गाल झुर्रियों से पटे झूले होंगे,
जब पेशानी पे सिलवटें काबिज होंगी,
सुफैद जुल्फें उम्र की गवाही दे रही होंगी,
तनिक काम से जब सांस चढ़ने लगे,
तनिक बैठने से जब कमर अकड़ने लगे,
तब गुज़ारिश है तुमसे ,
एक बार को ही सही मिलने आना ज़रूर,
जरा क़यामत से पहले मैं भी तो देखूं,
क्या वो चांद तब भी चमकता है ,
जो चमका करता था मेरे बाम पर,
क्या वो नूर तब भी छलकता है,
जो छलका करता था मेरे नाम पर,
गुज़ारिश है तुमसे ,
एक बार को ही सही मिलने आना ज़रूर,
आख़र को ही सही गिनाने आना मिरे क़ुसूर,-
Ambitious towards Civil Services
20/10/97 when i cried firs... read more
राज़ गहरे दिल के खोल गया,
खुद को नजरों में तोल गया,
चुप रह कर भी देखो,
आईना क्या कुछ बोल गया।-
आए क्या क्या याद जब नजर पड़ी आधी अधूरी आशारों पर,
वो ओढ़े कंबल से टूटे बालों को मिलना हो,
या वो चांदने में सफेद गुलाब सा खिलना हो,
वो कप पे लगी होंटो की लाली हो,
या वो कानो की छोटी बाली हो,
वो गाल चूमते लट बालों के,
या वो तारे गोरे गालों के,
आए क्या क्या याद जब नजर पड़ी आधी अधूरी आशारों पर,-
हिस्सा तो हम भी हैं मजमें के मग़र तू खोया है कहीं,
यूँ तो है सब कुछ झोली में मग़र सुकून खोया है कहीं।-
फ़र्ज़ करो होंठों पे मेरे बोसा और सामने तुम्हारी पेशानी हो,
खनकती मुस्कान सुर्ख रुखसार ही प्यार की निशानी हो,
भूल कर सब कुछ आओ डूब जाओ इसमें कुछ ऐसे
शर्म हाया झिझक परेशानी सब उस वक्त को बेईमानी हो।-
जब भी लिखेंगे इश्क़ को आस लिखेंगे,
जब भी लिखेंगे किरदार को खास लिखेंगे,
दो आग्यारों की अनकही कहानी है ' मीऱ'
जब भी लिखेंगे नया इतिहास लिखेंगे।-
आ इक रंग मोहब्बत का चढ़ा दूं,
आ इक रंग सोहबत का लगा दूं,
चुरा कर हर रंग फजां से तेरे वास्ते
आ इक रंग हलावत का चखा दूं।
-
जो पंख निकले ही थे अभी उनको फड़फड़ाने निकल आए,
कल तक बच्चे थे अभी देखो अब हम कमाने निकल आए।
अब तक जो घर को जाने की बेकरारी पालते थे,
देखो तो अब खुद को उसके जेहन से भुलाने निकल आए।-
कुछ ऐसे मोआत्तर हो जाओ की संदल हो जाऊं,
आ मिल जा ऐसे इस मोड़ पर की पागल हो जाऊं
चल तू जुनैद ही सही जंग-ए-इश्क़ की,
मैं तेरे नैनों के पैकान के वार से घायल हो जाऊं-