ता-उम्र मेरी सादगी का सिला क्या है?
धोखा,दर्द और तन्हाई के सिवा मिला क्या है?-
सिराज-ए-हिन्द जौनपुर🏡
अब ना पूछना कि ये... read more
खो जाए सुकूं दुनिया में कहीं, और आंखों को भी नींद नही;
हर अपना पराया लगने लगे, और पता चले ना गलत सही;
एक पल भी ना वक्त गंवाना तुम,ना सोचना ना शरमाना तुम..
मुझ पर हक़ एक तुम्हारा है,बस पास मेरे आ जाना तुम।-
मुझ तक आने वाले हर रस्ते का अकेला मुसाफ़िर हूं,
खुद से है शुरुआत मेरी और मै ही खुद में आखिर हूं;
कहने को तो इश्क़ इबादत होती है ऊपरवाले कि,
इश्क़ किया था मैंने,अब दुनिया की नज़र में काफ़िर हूं।-
पांव के छाले मेरी राह रोकते हैं मगर...
चाह मंज़िल की ये कहती है कि चलते रहिए।
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तेरी खातिर जो ऐसी हिम्मत कर रहे हैं,
ज़माने भर से लड़ कर तुझसे मोहब्बत कर रहे हैं;
यही चेहरे कल तुझसे बगावत भी करेंगे...
यही जो आज यूं तेरी इबादत कर रहे हैं।-
किसी के दर्द से किसी को सरोकार नही,
कोई ना जाने किसी को ये शहर कैसा है?
छोड़ इंसानियत की राह सब दौड़े है मंज़िल को,
ये कैसी जल्दबाजी है,ये सफ़र कैसा है?-
जिस शहर में तू घूम रहा है आइने सा दिल लिए,
उस शहर में पत्थर के खरीददार बहुत हैं;
इक चेहरे में छिपे होते हैं अक्सर कई चेहरे,
हर शख्स के अंदर यहां किरदार बहुत हैं।-
तुम्हे तवज़्जो ना थी मेरे इश्क़ की शायद,
हमने भी छोड़ तुम्हे गम से नाता जोड़ लिया;
तुम्हे भुलाने की कोशिश में हम यूं लगे हैं कि,
कभी था इश्क़ तुमसे ये बताना छोड़ दिया;
अब के सोचा था कि सावन में लौट आओगे,
आया सावन तो सावन ने भी दिल तोड़ दिया।-
तेरे जाने से दिल में एक तूफान सा उठा था,
पर लब ख़ामोश रहे हमने कोई सवाल नही किया;
और एक बात बताए तुम्हे.....
हम तो मुद्दत से अकेले थे,
हमें तन्हा छोड़कर तुमने कोई कमाल नही किया।-
ये भरम कैसा है कि रिश्तों में गहराई है
आके कह क्यूं नही देते जो सच्चाई है
हमारे बीच अब वो पहले सी बात नही रही
हमारे बीच तो अब सिर्फ फर्ज़अदाई है
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