Abhishek Vaishnav   (अभिषेक)
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विचार व्यतिगत है|
Joined 3 May 2020


विचार व्यतिगत है|
Joined 3 May 2020
9 OCT 2022 AT 16:45

जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता

ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता

मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता

बुलंदी पर उन्हें मिट्टी की ख़ुश्बू तक नहीं आती
ये वो शाख़ें हैं जिन को अब शजर अच्छा नहीं लगता

ये क्यूँ बाक़ी रहे आतिश-ज़नो ये भी जला डालो
कि सब बे-घर हों और मेरा हो घर अच्छा नहीं लगता

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10 JAN 2022 AT 10:11

सुना है सांसे रुकने पर बिछड़ने वाले
भी मिलने आते हैं...

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8 JAN 2022 AT 7:33

कभी कभी लगता है शब्द ही कम है
भावो को व्यक्त करने के लिए

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6 JAN 2022 AT 7:57

जिन्हें संगीत से प्रेम होता है ,
वह गीतों में अपनी कहानी खोजते हैं।

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5 JAN 2022 AT 7:32

अपने लफ्जो के लहजों को सही उपयोग जरूरी है,
क्योंकि यही आपके जीवन का आधार है।

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4 JAN 2022 AT 18:42

ऐसा तो कभी हुआ ही नहीं
गले भी लगे ओर छुआ भी नहीं....

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4 JAN 2021 AT 19:32

वो ख़ुशी ही क्या जहां दोस्तों के साथ जाम ना हो
बाज़ार ही क्यों जाना जब कोई काम ना हो😹

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3 JAN 2021 AT 18:55

जीने लगा हूं खुद में हर पहर
अब तुम ना आना लेकर कहर.

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3 OCT 2020 AT 8:43

हमारी राहो में यूं तकरार हो जाय
तुम मुस्करा दो
ओर हमे प्यार हो जाय|

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16 SEP 2020 AT 19:24

इस दिल का बिल बड़ा महंगा है!

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