Abhishek Upadhyaya   (तप्त चंदन)
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तलाश.........
Joined 16 June 2017


तलाश.........
Joined 16 June 2017
23 APR 2023 AT 5:20

ओ रे सूरज तूने कितने सपने छीन लिए

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22 MAR 2023 AT 22:51

वो मुझसे मेरा ठिकाना पूँछता है
हवा से भला कोई आशियाना पूँछता है

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22 MAR 2023 AT 22:25




चंद लकीरें तय कर देंगी किस्मत मेरी !
इतनी मुफलिसी फिर बेकार कमाई मैंने

(तप्त चंदन)





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5 NOV 2022 AT 17:00

मेरा सत्य खरीदो मत तुम
झूठ बहुत चमकीले हैं
सूखा पन्ना ध्यान से पकड़ो
लफ्ज़ अभी भी गीले हैं

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5 NOV 2022 AT 15:02

मुझे लिखना मिटाना था
महज़ किस्सा फ़साना था
अरे अब छोड़ दो उनको
कहाँ तुम थाम के बैठे
वो लम्हें थे फ़कत लम्हें
तुम्हें लगता जमाना था


(तप्त चंदन)

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4 NOV 2022 AT 22:31

काश का समंदर उम्मीद की कश्ती
लड़ती ही रही है इंसान की हस्ती
टूटे हुए तारों को भी अरमान बताती
वाह रे तेरी दुनिया वाह रे तेरी बस्ती

(तप्त चंदन)























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2 SEP 2022 AT 20:52

कयामत रात की होती तो गुजर जाती
सो जाता वो और भूख मर जाती
दिन की रौशनी में कहाँ छिपती वो
उसकी बदहाली भला किधर जाती

तमाम दावों से घिरा बैठा था
तमाम नारे उसी के हक़ में थे
वो मुत्मइन था कि अभी जिंदा है
साँसों के इशारे जो उसके हक़ में थे

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18 DEC 2021 AT 16:10

उठा के रख दो ये कागज़
कलम को सूख जाने दो
मुझे हर्फों में पढ़ता है
जरा उसको सताने दो


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30 JUL 2021 AT 20:33

कुछ लिख गया कुछ कह गया
पर बहुत कुछ रह गया......
न रख सकी कलम उसे
न होंठ पर वो आ सका
निगाह का सबब था वो
निगाह से ही बह गया.....

(तप्त चंदन)

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20 SEP 2020 AT 23:11

मुझको मेरी कहानी में खुद की तलाश है
अगल बगल कहीं वो मेरे आस पास है
दिखता भी रहा हूँ मैं लिखता भी रहा हूँ
बस साँस साँस है बस प्यास प्यास है

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