खड़े थे
तेरी राह में
कि तुम एक नज़र तो डाल दो
मगर आह
तेरी ये नज़र
कोई नज़र तो उतार दो...
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दरार सब जगह
मन में भी एक दरार है
और वो ही रोश्नी की वजह...
सच कहूं तो जग रूठे
झूठ कहूं तो राम
मन बेचारा क्या करे
दोनों कठिन हैं काम...
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सामने यार हो
और होश तेरे गुम नहीं
या तो वो यार नहीं
या फिर आशिक तुम नहीं...
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बांहों में उनकी हमको
जबसे सहारे मिल गए
ख़्वाबों को
सिर उठाने के बहाने मिल गए...
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कांच सा जिस्म
कहीं टूट न जाए
हुस्न की मल्लिका
तेरी गली चलने से डर लगता है
चलों कहीं
दूसरा मुकाम ढूंढते हैं
जहां सिर्फ जिस्म के सौदे हों
वो घर नहीं अब घर लगता है...-
हवाएं बहुत जिद्दी हैं,हाल उलझाए बैठी हूँ
चलो आना तुम्हीं इस बार,दिल को समझाए बैठी हूँ
हाथ थामे रखना दुनिया में,बाहर भीड़ बहुत भारी है
तुम्हारी नज़र है मुझ पर,ये उम्मीद लगाए बैठी हूँ
दिन लिखने में चला गया,सोचने में रात बितानी है
सपनों में भी तुम आओगे,ये ख़्वाब सजाए बैठी हूँ
गहनों का मुझे शौक नहीं,तेरे अर्श की मैं दीवानी हूँ
जब चांद चढ़े तब आ जाना,बालों में गुलाब लगाए बैठी हूँ...
© trehan abhishek
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जिसके लफ़्ज़ों में
तुम्हें अपना अक्स मिले
बहुत मुश्किल है मेरे यार
ज़िंदगी में तुम्हें ऐसा शख्स मिले...
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करते हो बेचैन मुझे
मेरा हाल पूछकर
नज़रें भी फेर लेते हो
पहले सवाल पूछकर...-
झूठ
मांगे है गवाही
सच को
हकलाना पड़ेगा
तुम
बहुत सच बोलते हो
तुमको
पछताना पड़ेगा...
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बस इतनी सी है
तेरी मेरी कहानी
तू आग सी जलती है
मैं राख़ सा उड़ता हूँ
न जाने
कैसी साजिश है
तू बादल सी बरसती है
मैं मोम सा पिघलता हूँ...
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