मां बाप बेटी या रिश्तेदार हो
सब पर कभी पंक्तियां तो कभी कविता लिखी गई
बस कभी बाकी रहा तो बेटा रह गया।
न उसका दर्द बताया गया न दिखाया गया
बस उसको जमाने में दफनाया गया।
कभी किताबो के बोझ से
तो कभी जरूरतों की खोज से
घर या समाज में तब वो अपनाया गया
जब उससे पैसा कमाया गया ।
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