Abhishek Tiwari   (अभिषेक तिवारी "तन्हा")
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Joined 27 November 2018


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Joined 27 November 2018
25 FEB 2022 AT 0:14

राम का अर्थ केवल संस्कार मात्र ही नहीं रह गया है बल्कि अब राम शब्द से आशय व्यापार भी है, राजनीति है, कूटनीति, वोट-नीति, पार्टी-चित्र, नेता-चरित्र, परिणाम, प्रमाण, प्रचार, इत्यादि है।— % &

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23 AUG 2021 AT 10:00

मामी के नौ-मन नाक फनकाने के बाद लोक-लाज़ और समाज का हवाला देने पर तिलमिलाते हुए मामा ने जेब की गहराई से ज़्यादा हाथ ठूँसकर बेमन बटुवा निकाला। बटुवा खोलते ही दो सौ का नोट हाथ लगा लेकिन मामा ने आनन-फानन में फौरन उसे दस के नोट के पीछे छिपा दिया और पूजनीय भांजे का हक़ मारकर, समाज के साथ भ्रष्टाचार और मामी को धोखा देकर पचास का सड़ियल नोट थमा दिया।

भांजा भी भला क्या ही करता। आर्थिक आँख-मिचौली, हक़ के हनन, उम्मीदों पर पथराव, मामा के प्रति समर्पण का दोहन, रिश्ते की मिठास में भारी गिरावट और मामा के त्रियाचरित्र को सहने के बाद मर्यादा की मार के डर से एक हाथ में नोट मसलते हुये दूसरे हाथ के नाखून से घुटना छूकर बमुश्किल आशीर्वाद माँग ही लिया।

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28 MAY 2021 AT 22:48

खामोश सिर्फ़ इसलिए हूँ क्योंकि मैं ख़ुद को उस काबिल बनाने की कोशिश कर रहा हूँ ताकि सिर्फ़ तुम ही नहीं, बल्कि हमारा परिवार और यह बहुरूपिया समाज भी तुम्हारा हाथ किसी और की मुट्ठी में ठूँसने की सोचे भी तो उसे घिन्न आने लगे।

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8 APR 2021 AT 16:36

|| पंडिताईन की बेटी ||

"फॉल इन लव विद डॉग"


हैरत की बात तो तब होती है जब कोमल अधरों से इंसानी कौम को परिभाषित करने के लिए बनाए गए साफ़-सुथरे सुंदर-सुंदर धार्मिक या शायराना शब्दों का इस्तेमाल उस मूक कुत्ते को दुलारने के लिए किया जाता है। हिंदी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेज़ी के वो तमाम अनमोल शब्द तरस खाते होंगे या फिर यदि वो भाषा भी कुत्ता प्रेमी हो तो धन्य हो जाते होंगे जब उस कुत्ते लिए क्लिष्ट शब्दों का उपयोग किया जाता है।


(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)

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3 APR 2021 AT 15:35

मैं तुम्हें सिर्फ़ लिखना ही नहीं बल्कि पूरी निष्ठा और योग्यता के साथ सबसे ज़्यादा लिखना चाहूता हूँ और तब तक लिखना चाहता हूँ जब तक मुझमें लिखने का सामर्थ्य रहे।

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16 DEC 2020 AT 20:51

तुम बगैर चश्मा मुझसे
मिलने मत आया करो,
चश्मे से खूबसूरत दिखती हो
और तभी भरोसा भी होता है।

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15 DEC 2020 AT 10:17

Poetry is not creation,

Poetry is an innovation.












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11 DEC 2020 AT 9:25

|| शरारती बच्चा और सवाल ||

पापा : सब गुण गोबर कर दिया........सत्यानाश कर दिया।
बच्चा : गुड़ और गोबर एक ही चीज़ है क्या पापा..?
पापा : अरे..... गुड़ अलग है......गुण अलग है........गुड़ और गुण में अंतर है।
बच्चा : लेकिन गुड़ गोबर कैसे हो गया...??
पापा : क्योंकि तुम शरारती हो।
बच्चा : लेकिन गोबर करने के लिए तो गाय बनना पड़ेगा।
पापा : अरे मैंने गुण बोला... गुण...... गुड़ नहीं।
बच्चा : मतलब गाय ने पहले गुड़ खाया फ़िर गोबर बनाया।
पापा : ( शांत)
बच्चा : हाँ न पापा....?? लेकिन पापा गाय तो बहुत कुछ खाती है...... तो फ़िर कैसे पता चलेगा कि कौन सा गोबर गुड़ का है।
पापा : चुप...... फालतू बकवास करता है........

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25 NOV 2020 AT 13:15

सर्दी की धूप
और अंजान
लड़की।

(बाकी आप स्वयं समझदार हैं)
😜😜😜😜😜😜😜😜

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4 NOV 2020 AT 21:20

जो बच्चे अपने माँ-बाप से दूर अकेले रहते हैं उन्हें उतनी तकलीफ़ नहीं होती है जितनी तकलीफ़ उन बच्चों को होती है जो माँ-बाप से दूर किसी करीबी की परवरिश में रहते हैं।

अकेलेपन में सिर्फ़ माँ-बाप की कमी महसूस होती है मगर किसी गैर की परवरिश में कमी के साथ-साथ अफनाहट भी होती। इंसान किसी भी प्रकार की कमी में जिंदगी गुजार कर मज़बूत हो जाता है मगर अफनाहट में संकुचित हो जाता है।

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