बरसात की जरूरत नहीं अब ,बूंदाबांदी ही काफी है
बहुत उम्मीदें नहीं है तुमसे ,बात कर लेती हो यही काफी है
और प्यार नहीं करती तुमसे, बार-बार यह बताने की जरूरत नहीं है, थोड़ा समझदार मैं भी हूं ,तुम्हारा रवैया ही काफी है-
Watsup- 8115442286
बेअदब इश्क है मेरा, ज़रा मगरूर है वो
उसकी मौजूदगी चांदनी सी, चांद का गुरुर है वो
मजबूर हूँ मैं टूटे बांध के जैसे, ऊफनती नदी का सुरुर है वो,,,-
भीगो ना काले बादलों से बोलता था मैं
करो ना बात ऐसे लोगों से यूं रोकता था मैं
छुपाया खत ना कहीं अखबार हो जाए
नायाब पत्थर ना कहीं खुले बाजार हो जाए
तेरी सीरत उजले कमीज के जैसे, लगे ना दाग कोई इसलिए टोकता था मैं
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Bina vjah roothna aur mujhko sataana,
Auron se masti aur mujhse bahaana,
Din me bahutere kaam , raat me teri need ka aana,
Kh do na ki bhar gya h mn mera ab tujhse door h jaana....-
मन में उल्लास, चालो में वो उछाल कहां है?
बीता विश्राम याद नहीं, अगला ठहराव कहां है?
प्रश्न पूछते हैं अब पग-छाले, अभी तेरा मुकाम कहां है भटका हुआ पथिक है तू, बता तेरा भगवान कहां है??-
रात ही रात है इस रात के सफर में ,
क्या होगा कभी सबेरा भी ?
क्या होंगे उदित आदित्य देव , और मिटेगा मेरा अंधेरा भी क्या सूर्यमुखी की मुख फिर से सूर्य को निहारेगी,
झंझावातों में फंसी ये नौका, शांत जल में विहारेगी???-
सभी हँसते हुए चेहरे को , क्या खुशदिल कहोगे?
भरी हों प्यालियाँ , तो क्या उसे महफिल कहोगे?
रुबरू होकर , भीतर के अँधेरे से ...........
बुझाया खुद का ही दीपक, तो क्या बुज़दिल कहोगे???-
आँसू निकल आए तो खुद पोछिएगा,,,
लोग पोछेंगे तो सौदा करेंगे.....🙏🙏🙏-
बेचैनियाँ कल भी थी,,
बेचैनियाँ आज भी हैं...
कल कुसूर उन नजरों का था,
आज तलब खुद की है.....
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ढल गया सूरज निकल के चांद आया है,
इस सूखे समंदर में फिर से ज्वार आया है,,
लगी उन सारी चोटों को मैं कब का भूल बैठा था
चली पूरबी हवा तो फिर से उनका ख्याल आया है....💔💔💔-