अकेले ही चलता रहूँगा , दुनिया वीरान है तो है
डर नहीं गोलियों का , माहौल श्मशान है तो है
चाय के दुकान पर मिलते हैं दोनों पार के लोग
धर्म के ठेकेदारों का सब पर लगान है तो है
मैं इक तीली ही सही, मशालें जलानी है मुझे
चिंता गाँवों की हो रही, शहर कूड़ादान है तो है
धमक परे वो ," मुहब्बत सरहद देख के कर"
हवा का पक्का यार मैं, सरहद हैरान है तो है
लेखन में रुचि थी, खयाल भी उसके अच्छे थें
बड़ों की चाहत पूरी हुई, बच्चा परेशान है तो है
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