Abhishek Singh   (मोरपंखी अभिषेक)
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इस लेखक को है यह खबर कि उसके यह लेख रहेंगे सदैव अजर-अमर।
Joined 24 September 2018


इस लेखक को है यह खबर कि उसके यह लेख रहेंगे सदैव अजर-अमर।
Joined 24 September 2018
11 MAY AT 0:58

पाकिस्तान वह साँप है जिसके फन को अधकुचला छोड़ने की गलती भारत को इस बार नहीं करनी चाहिए । अगर आप एक बार विषैले साँप के फन पर पैर रख देते हैं तो बिना उसका फन कुचले उसके ऊपर से अपना पैर नहीं हटाना चाहिए, ऐसा मेरा मत है । इस पाकिस्तान देश जैसे विषैले साँप को IMF ने हमेशा आर्थिक सहायता रूपी दूध पिलाया लेकिन अंत में इस सांप ने इस सहायता से विष ही उगला है। सीज़फायर का उल्लंघन करना तो इस साँप की हमेशा से फितरत रही है। एक विषैला साँप, सपेरे का रोज़गार हो सकता है, लेकिन कभी भी उसका मित्र नहीं हो सकता, यह बात पश्चिमी देशों को समझनी चाहिए।

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23 MAR AT 16:23

The journey from "fighting with you" to "fighting for you" was what once defined my love for you, never knowing that the journey would eventually turn out to be vice-versa.

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17 FEB AT 2:21

आम इंसान

हम हैं एक आम इंसान
जिसकी बहुत सस्ती है आज के समय में जान
महाकुंभ में करने गए थे हम बस जलस्नान
क्या पता था कि हमें वहां स्नान करने से पहले ही त्यागने पड़ेंगे हमारे अमूल्य प्राण?
क्योंकि, हम हैं एक आम इंसान

ट्रेन में बस एक सीट पाने के लिए हम ने दांव पर लगाए हमारे अमूल्य प्राण
क्योंकि, हम हैं बस एक आम इंसान

पाखंडी धर्मात्मा बोलें कि प्रयागराज के महाकुंभ में मरकर मुक्त हो गए तुम्हारे प्राण
क्योंकि, तुम हो बस एक आम इंसान

प्रतिष्ठित राजनेता व अभिनेत्रियां बोलें कि महाकुंभ में हमें न मिला कोई भी व्यवधान
फिर क्यों इतना परेशान है यह आम इंसान?
हमारे वीआईपी काफिलों से यह कभी भी नहीं था अंजान
इतना सब जानकर भी फिर क्यों चुनता है हमें यह आम इंसान?
यह बड़े काफिले ही बढ़ाते हैं हमारी शान
फिर चाहे जान गंवाता रहे यह आम इंसान, आम इंसान, आम इंसान|


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10 JAN AT 18:32

Money and fame may attract, but it is true love that actually unites.

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28 DEC 2024 AT 23:39

ज़िद और जुनून में बस इतना फर्क है मेरे सनम

ज़िद तुझसे शुरू है और जुनून तुझपर खत्म |

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8 DEC 2024 AT 20:35

तड़प एक वक़्त हमारी ओर थी, आज तुम्हारी ओर है

फर्क सिर्फ इतना है जनाब

हमारी तड़प थी आशिक़ाना, और तुम्हारी हर्जाना |

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29 NOV 2024 AT 9:53

A teacher without a book is a warrior without a sword.

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13 AUG 2024 AT 20:52

No man became extravagantly rich man without committing socio-economic offences or white-collar crimes.

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23 JUL 2024 AT 9:44

भले ही आँखें पैदाइश के वक्त खुलती हैं,
लेकिन उन ही आँखों से लोगों को सही से परखना हमें काफी उम्रदराज़ होने पर आता है|

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2 JUN 2024 AT 12:27

Though the pseudo-resistance still exists, my longing for you still subsists.

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