Abhishek Singh  
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दिल के जज़्बात को कलम के सहारे लिख रहा हूँ
Joined 7 May 2020


दिल के जज़्बात को कलम के सहारे लिख रहा हूँ
Joined 7 May 2020
3 FEB AT 22:16

आपसे यही गुज़ारिश है ऋचा, हर रोज आप ही सबेरे चाय बनाया कीजिए...

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3 FEB AT 22:10

हमारे हालत ऐसे थे क्या ही बात करते,

हमने तो आपसे साथ माँगा था

इतना दे दिया कि

इतने की भी जरूरत नहीं थी...

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30 DEC 2022 AT 19:33

इन हवाओं में इतनी ठंडक नहीं,
जितनी कि आपकी आँखों में है !

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10 NOV 2022 AT 22:16

अब क्या क्या लिखे की किस्सा,
क्या हर रोज,
हर शाम होता है ,
कि निकलती है आह अब सिर्फ तब,
जब दर्द बेशुमार होता है ।

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10 NOV 2022 AT 0:46

किताबों से निकले पन्नों को मैंने सीना अब मैंने छोड़ दिया,
मंज़िल तुझे पाने के चक्कर में मैंने चाय पीना तक छोड़ दिया ।।

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9 NOV 2022 AT 21:54

बातें तो बहुत थी मग़र अल्फाज़ कहाँ से लाते

इश्क तो बहुत था मग़र ज़ज्बात कहाँ से लाते।

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8 NOV 2022 AT 13:22

खोने का कुछ है नहीं, खोना अब है और नहीं,
बचा है रह जाने दो, ले जाना तो किसी को है नहीं

बह जाएंगे सब एक दिन दरिया में अस्थि की तरह
Waqt चल रहा रहा है जैसे मतंग हाथी की तरह

खटखटाते रहिये एक -दूसरे के मन का दरवाजा
बात- मुलाकात हो ना हो आहटें आनी चाहिए





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6 AUG 2022 AT 10:53

वक्त अभी भी है संभल जाओ, आगे फिसलन है
हमने साथ चलना सीखा,
फिसलना अभी बाकी था,
बात क्या थी हमारे दरमियान,
क्या कुछ कहना था
यूँ अजनबियों को ना हमारे बीच लाया करो
बात जरा सी भी हुई बे संजीदगी से तो चुभेगी
हमारे यादों को अच्छा है अच्छा ही रहने दो ।।

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28 JUL 2022 AT 20:27

कोई भी अच्छी चीज अति अच्छी हो जाती है,
वो ही अति खतरनाक हो जाती है।

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14 JUL 2022 AT 22:10

बहन, तुम मुझे पढ़ने क्यूँ नहीं देती अपनी किताबें,
वो आयेंगे कल ले जाने तुम लाख करो मन्नतें,

भाई, ये बात सच है इससे कभी-कभी मैं डरती हूँ,
क़िताबों ने बदली यहाँ कई जिन्दगियां ऐसा सोचती हूँ।



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