हाथ छोड़ो चलो आज दिल मिलाते हैं,
फिर से वही रूहानियत बटोर लाते हैं,
कुछ तुम कहो फिर कुछ हम सुनाते है,
तुम्हारी बनाई मीठी-चाय आखिरी बार होठों से लगाते हैं
अजनबी समझ एक-दूजे का दिल बहलाते हैं ।।
हाथ छोड़ो चलो आज दिल मिलाते हैं । -(1)
चलो फिर से वही पुराना ईश्क़ कर जाते हैं,
चलके फिर से वहीं,उसी मंदिर में वही इबादत दोहराते हैं,
किसी दरगाह में चल के उन्ही मन्नतों के धागे बाँध आते हैं,
चल के किसी पीर से दिल के हाल बताते हैं,
कहीं सजदों में कमी रही हो तो उसे भी पूरी कर आते हैं ।।
हाथ छोड़ो चलो आज दिल मिलाते हैं । -(2)
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