बेखबर है तू अपनी पहचान से
साहस से, अपनी उड़ान से ।
जो तू थक गया अभी
तो तू मंजिल कहां से पाएगा!
बिना रण के ही युद्ध हार जाएगा,
हारना तेरे लिए विकल्प नहीं
युद्ध स्वयं से अपरिहार्य है ।
उठ, जाग, और युद्ध कर
अब हर श्वास की यह पुकार है
बेखबर है तू अपनी पहचान से
तू स्वयं में एक जलती मशाल है
तू स्वयं एक जलती मशाल है ।।-
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-Sober
-Compassi... read more
हे वक्त तू कहां रुका है
सुना है तू निरंतर चलता रहता है
मैं शून्य में स्थिर, तेरा राह देख रहा हूं
पर अब तलक तेरे आने की खबर आई ना मुझ तक
हे वक्त तू कहां रुका है ।।
मेरी आंखें थक हार कर तेरा इंतजार कर रही हैं
तू बस आने को है, इसी विस्वास में कई रात से जग रही हैं,
हे वक्त अब देर ना करो, अपने रथ को तनिक गतिमान कर चलो,
कुछ वक्त है अभी मेरे पास, मैं तेरा इंतजार तब तक करूंगा,
तू ना आया तो हंसकर तेरे इंतजार में ही मरूंगा
मगर इन्तज़ार मैं करूंगा ।।-
माना सब कुछ टूट रहा
जो सोचा था, सब छूट रहा
कुछ खोकर, तु कुछ तो पायेगा
क्यूं रोता है, ये पल बीत जाएगा ।।
क्यूं तू धीरज खोता है
मन ही मन क्यूं रोता है,,,?
रात अंधेरी बीत जाएगी
प्रखर प्रभा जब मुस्कुराएंगी ।।
आंखों में ख्वाब, तुम्हारे है !
कंधों में जान तुम्हारे है
फिर क्यूं तू विचलित होता
चल उठ, रोने से कुछ होता है ।।
तूने इससे भी ज्यादा झेला है
विपदाओं संग खेला है
अरे ये पल क्या तुम्हें हरायेगा
तेरे साहस से टकरा कर
आप स्वयं ही मर जाएगा
आप स्वयं ही मर जाएगा ।।-
कभी नजर आओ कि हमें गुफ्तगू करनी है
कुछ बातें अधूरी रह गई थी
तुमसे मिलकर पूरी करनी है ।।
है कई दारोमदार बाकी अभी
अभी तो सांस बाकी है,
कुछ अश्क बहे इन आंखों से
कुछ अभी उस आंख से बाकी है ।।-
कभी-कभी किसी बात को अपने तक ही रखना सही होता है..सही होता है उस एहसास को खामोश रखना
जो, कुछ वक्त की खुशी देकर उम्र भर का ग़म दे सकते हैं।-
हम तभी रूकते हैं जब हम हमारी मंजिल तक पहुंच जाते हैं, या हमें वो मिल जाए जिसकी तलाश में हमने सफर को शुरू किया था,,,,,,
अब सवाल ये है कि,,,,
क्या तुम्हें तुम्हारी मंजिल मिल गई,,,?
क्या तुम्हें जिसकी तलाश थी वो मिल गया,,,?
अगर जवाब ना है; तो मेरे दोस्त सफ़र अभी खत्म नहीं हुआ है,,,,,तब तक तो नहीं जब तक तुम उसे पा ना लो ।।-
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बेखबर है तू अपनी पहचान से
साहस से, अपनी उड़ान से
जो तू थक गया अभी
तो तू मंजिल कहां से पाएगा
बिना रण के ही युद्ध हार जाएगा,
हारना तेरे लिए विकल्प नहीं
युद्ध स्वयं से अपरिहार्य है
उठ, जाग, और युद्ध कर
अब हर श्वास की यह पुकार है
बेखबर है तू अपनी पहचान से
तू स्वयं में एक जलती मशाल है
तू स्वयं एक जलती मशाल है ।।-
Sometimes; we may hate our cubicle
But the truth is, we actually are a part of it, we ought to decorate it with love and belongingness.-