समंदर चाहे कितना भी गहरा क्यों ना हो,किनारे चाहिए होते हैं…कभी कभी,सबको सँभालने वालों को भी,सँभालने वाले चाहिए होते हैं… -
समंदर चाहे कितना भी गहरा क्यों ना हो,किनारे चाहिए होते हैं…कभी कभी,सबको सँभालने वालों को भी,सँभालने वाले चाहिए होते हैं…
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ख़्यालों और सवालों के दरमियाँ, जद्दोजहद जारी है…मिट जाएँगे शिकवे सभी,बस तुम्हारे गले लगने की बारी है … -
ख़्यालों और सवालों के दरमियाँ, जद्दोजहद जारी है…मिट जाएँगे शिकवे सभी,बस तुम्हारे गले लगने की बारी है …
क़िताबों के बस्ते में ज़िम्मेदारियों को भर लिया है,ज़िंदगी तुझसे कुछ ऐसे राब्ता सा कर लिया है कभी इम्तहानों में होते थे बस्ते हल्के,आज काँधों ने ही सारा बोझा धर लिया है सपने बड़े और नींद भी सुकून की होती थी,अब आँखें जो खुली तो तजुर्बे ने अपना काम कर लिया हैबेबाक़ सी हँसी और बेफ़िक्री ज़रूर थी तब,पर हमने भी ज़िंदगी तुझ से अब इत्तेफाक कर लिया हैबचपन को सींचता हूँ यादों के फ़ुव्वारों से,ज़रा थम, देखुं तो …ज़िंदगी तूने कितना वक़्त लिया है -
क़िताबों के बस्ते में ज़िम्मेदारियों को भर लिया है,ज़िंदगी तुझसे कुछ ऐसे राब्ता सा कर लिया है कभी इम्तहानों में होते थे बस्ते हल्के,आज काँधों ने ही सारा बोझा धर लिया है सपने बड़े और नींद भी सुकून की होती थी,अब आँखें जो खुली तो तजुर्बे ने अपना काम कर लिया हैबेबाक़ सी हँसी और बेफ़िक्री ज़रूर थी तब,पर हमने भी ज़िंदगी तुझ से अब इत्तेफाक कर लिया हैबचपन को सींचता हूँ यादों के फ़ुव्वारों से,ज़रा थम, देखुं तो …ज़िंदगी तूने कितना वक़्त लिया है
बहुत दूर से आया हूं...बहुत दूर तक जाना है,दो दिन की ज़िंदगी है,चार दिन का फ़साना है... -
बहुत दूर से आया हूं...बहुत दूर तक जाना है,दो दिन की ज़िंदगी है,चार दिन का फ़साना है...
मेरे सोमवार से मन को इतवार सा कर देती है...उसकी एक मुस्कान, ज़िंदगी को आसान सा कर देती है... -
मेरे सोमवार से मन को इतवार सा कर देती है...उसकी एक मुस्कान, ज़िंदगी को आसान सा कर देती है...
शाम की चाय है, बारिश की बहार है...एक लंबे अरसे बाद सुकून वाला इतवार है... -
शाम की चाय है, बारिश की बहार है...एक लंबे अरसे बाद सुकून वाला इतवार है...
उसकी और मेरी कुछ ऐसी सी बातें हैं...शाम की चाय है, और हल्की हल्की बरसातें हैं -
उसकी और मेरी कुछ ऐसी सी बातें हैं...शाम की चाय है, और हल्की हल्की बरसातें हैं
अधूरे कल, अधूरे आजअधूरे दिन, अधूरी रात...अधूरी सांसें, अधूरे ख़्वाबअधूरे क़िस्से, अधूरे जवाब...अधूरे काम, अधूरी शाम...और,मुक्कमल ये जहां...ज़िंदगी तू बता, मैं कहां हूं,कहीं हूं भी, या कहीं नहीं..? -
अधूरे कल, अधूरे आजअधूरे दिन, अधूरी रात...अधूरी सांसें, अधूरे ख़्वाबअधूरे क़िस्से, अधूरे जवाब...अधूरे काम, अधूरी शाम...और,मुक्कमल ये जहां...ज़िंदगी तू बता, मैं कहां हूं,कहीं हूं भी, या कहीं नहीं..?
पहर दर पहर बन कहर टूटते हैं,रवानगी में कुछ सवाल बन लहर घूमते हैं...शहर दर शहर बन मुसाफ़िर घूमते हैं,मेरे होने ना होने के बहाने ढूंढते हैं...मुश्किल बमुश्किल ये जवाब ही सही,रंज को भी तंज दे वो ख्याल बोलते हैं... -
पहर दर पहर बन कहर टूटते हैं,रवानगी में कुछ सवाल बन लहर घूमते हैं...शहर दर शहर बन मुसाफ़िर घूमते हैं,मेरे होने ना होने के बहाने ढूंढते हैं...मुश्किल बमुश्किल ये जवाब ही सही,रंज को भी तंज दे वो ख्याल बोलते हैं...
खो जाऐं किसी की आखों में तो काम क्या है,दिल पर लग जाए बात तो फ़िर जान क्या है...सनम हो गर पास तो फिर शाम क्या है,निगाहों से ही पिला दे कोई तो फिर जाम क्या है...शहर में आया हूं तेरे, ढूंढा बहुत तुझे,पूछते हैं लोग...कि बताओ नाम क्या है... -
खो जाऐं किसी की आखों में तो काम क्या है,दिल पर लग जाए बात तो फ़िर जान क्या है...सनम हो गर पास तो फिर शाम क्या है,निगाहों से ही पिला दे कोई तो फिर जाम क्या है...शहर में आया हूं तेरे, ढूंढा बहुत तुझे,पूछते हैं लोग...कि बताओ नाम क्या है...