क्या की है कभी कोशिश उसकी आंखों में देखने की
क्या दिखा है आंखों के अलावा कुछ और भी उन आंखों में,
क्या पढ़ा है तुमने उसके माथे की शिकऩ को
क्या देखा है कभी कितने निशान हैं उसके हाथों में,
क्या सोचते हो अब भी उससे नजरें मिलाते वक्त
क्या मिलने जाते हो अब भी उससे ख्वाबों में,
क्या मिलती नहीं राहतें उससे दूर होकर तुम्हें
क्या होते हो बैचेन अब भी अंधेरी रातों में,
क्या अब भी उसके नाम पर दो-चार शायरियां लिखते हो
या उसकी खींची हुई तस्वीरें अपने पास रखते हो,
क्या अब भी उसके बालों की खुशबू पहचान लेते हो
या सड़क पार करते वक्त उसका हाथ थाम लेते हो,
क्या अब भी उसका होना, ना होना महसूस करते हो
क्या अब भी उसकी एक झलक पाने को पल-पल मरते हो।
-