जो रीति तू, मैं रस्म हूं।
जो सौम्य तू, मैं अस्म हूं।
तू भाल जो, तिलक हूं मैं।
मसान का हूं भस्म मैं।
मैं राग हूं, मैं द्वेष हूं।
वैराग का मैं वेश हूं।
सौंदर्य हूं, निर्वस्त्र हूं।
स्वयं समस्त शस्त्र हूं
कृपाल हूं, भजाल हूं।
कणांश हूं, विशाल हूं।
मैं योनि हूं, मैं मोक्ष हूं।
महा कराल काल हूं।-
कुछ नहीं है हम में,
मगर कुछ विशेष कहते हैं।
गुस्ताखियां करता फिरता हूं हर ... read more
पालक हूं मैं,संहार मैं।
हूं वज्र का प्रहार मैं।
मैं मित्र भी, मैं शत्रु भी।
जो जीत तू, तो हार मैं।
विभक्त हूं, अखंड हूं।
मैं मृत्यु से प्रचंड हूं।
मैं तीव्र हूं, मैं मंद हूं।
मैं काल सर्प दंड हूं।
जो प्रेमी तू, तो भक्ति मैं
हूं शांत चित्त शक्ति में।
जो प्राण तू, तो व्यक्ति मैं।
संयोग तू, विरक्ति मैं।-
मैं जन्म हूं, मसान मैं।
अनंत सा हूं ज्ञान मैं।
असंख्य हूं, मैं शून्य हूं।
सर्वत्र में विभिन्न हूं।
मैं देव हूं, पिशाच मैं।
तुणीर का नाराच मैं।
मैं रूप हूं श्रृंगार का।
मसान का हूं नाच मैं।
तू लोभी जो, मैं लोभ हूं।
तू भोगी जो, मैं भोग हूं।
माता हूं मैं, पिता हूं मैं।
जो रोगी तू, मैं रोग हूं।-
5 अप्रैल को 9:00 बजे रात, 9:00 मिनट के लिए मोमबत्ती या दिया जलाने से अच्छा है कि हमें 9 मिनट के लिए सब लाइट बंद करवा देनी चाहिए अपने जाने वालों भाइयों के शोक के लिए जो हमें छोड़ कर चले गए हैं।
इस समय सरकार को ध्यान देना चाहिए कि कहां-कहां किन किन बस्तियों में बत्तियां चल रही हैं जिससे पता चले कि कौन कौन लॉक डाउन का पालन नहीं कर है और कोरोना पेशेंट भी यही मिलेंगे।
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जो तुझे ना देखूं तो नींद आती ही नही।
नहीं देखूंगा उस रोज जो गहरी नींद सो जाऊं।
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तू फिर से इश्क करके ना कर शर्मिंदा
मैं जिंदा हूं, क्या कम है.....?
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मुझसे कोई मेरी वो किताब ले ले,
उसके हर सवाल और मेरे जवाब ले ले।
घुटन ना होने लगे खुला रहने में,
मैं शराब ले लूं और वो शबाब ले ले।
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भटक रहे हैं जुगनुओं की तलाश में कुछ अंधेरे
हम मोमबत्तियां जलायेंगे, तुम मरो तो
#meaningless_candle_march-
अटल मान भंगिमाओं में भरे ही रहेंगे
अटल थे, अटल है, अटल ही रहेंगे।।
कल वाजपेयी जी ने भारत को एक अनन्त कालीन रिक्तता देकर समय के दूसरे चक्र में प्रवेश कर नयी यात्रा आरम्भ कर दी😔😔😔
ॐ शांति🙏-
गम दिखा दिया तो फिर क्या जीना
घूट घूट के जीने का मज़ा ही कुछ और है
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