हां मैं अभी सब से दूर हूँ, अकेला हूँ, खुशी है मुझे इस बात की कि मेरे अपने स्वस्थ है। सुरक्षित है। बस कुछ दिनों की बात है, फिर से एक नया सवेरा निकलेगा, जो उमंगों से भरा होगा, परिवार का साथ होगा, परिवार की खुशियां होंगी। मेरे साथ सभी का साथ होगा।
मैं एक वृक्ष हूँ .... भूक लगती है तो । भोजन देता हूँ ।। धूप में छाँव देता हूँ । लोगों को आसरा देता हूँ।। सृष्टि को प्राण वायु देता हूँ। मनुष्य को जीवन देता हूँ।। मैं एक वृक्ष हूँ....
"विचार" यदि खेत में बीज न डाले जाएं, तो कुदरत उसे घास - फूस से भर देती है । ठीक उसी तरह दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएं, तो नकारात्मक विचार अपनी जगह स्वयं ही बना लेते है। -साभार