आंखों से तेरे अश्क अगर बहे ना होते,
दो लफ्ज ही सही अगर तूने कहे ना होते,
होते इस जिंदगी में हम दोनों भी अजनबी,
किस्मत होती तो मिलते किसी मोड़ पे कभी ना कभी।।।-
भरोसे का कोई चेहरा नहीं।
दोस्ती का रंग अब इतना गहरा नहीं।
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आंसुओं के सैलाब को रोकूं कैसे?
तुझे एक पल भी मैं ना सोचूं कैसे?
कब्जा है तेरा, दिल और उसकी नसों में,
भूल कर भी तुझे मैं भूलू कैसे?
दिल से मेरी है तू पर अपना कहूं कैसे?
भीड़ में भी तन्हा रहता हूं मैं,
सपनों से पीरों के तुझे हकीकत बनाऊं कैसे?
इबादत तेरी ही करता हूं बताने की हिमाकत करूं कैसे?
प्यार तो तुझसे बेइंतहा-बेपनाह करता हूं,
जताने के लिए तुझे तुझसे चुराऊं कैसे?
आखिर कह तो सही दिल को तेरे खुद के लिए धड़काऊं कैसे?
सिमट कर खो जाना चाहता हूं तेरी बाहों में,
पर तेरे होठों और आंखों का सुकून पाऊं तो कैसे?
पल-पल मर लिया अब तो बता, आवाज तेरी दिल को सुनाऊं कैसे?-
तेरी खूबसूरती को बयां कर सके ऐसे लफ्ज़ ढूंढ रहा हूं,
तेरी आंखों में डूबने के लिए एक पल ढूंढ रहा हूं,
मिलने की एक आरजू और गुजारिश लिए हुए,
तेरे होठों के वो नशीले जाम ढूंढ रहा हूं,
मैं तो बस तेरा प्यारा सा वो मासूम चेहरा ढूंढ रहा हूं।।।-
सज सवर के निकली थी अपने घर से, मोहल्ले की गली में,
नजरे झुकाए जुल्फों को संभालते, पल वो था लुट गया मैं फिर उसकी सादगी में,
माथे पर काली बिंदी और आंखें भूरी सी,
कानों में झुमका और बातें प्यारी सी,
दिल कहने लगा था भर ले एक वारी अपनी बाहों में,
और छूट जाने दे अपने नरम होठों की लाली मेरे होठों के राहों में।।
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बाहों में भर ले और इन ऑंसुओं को बह जाने दे,
थाम ले मेरा हाथ और तुझे अपने दिल से लगाने दे,
जरूरत, चाहत, आरजू सब है तू मेरी,
जानता है यह सब रब भी, बस अब तुझे अपना बनाने दे,
तोड़के वो दूरियों की दीवारें खुदको तुझमें समाने दे,
बाहों में भर ले और तुझमें कहीं खो जाने दे।।।
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मैंने तो अपनी उस हसीन जिंदगी को भी जिया है,
जिसमे तूने मेरा साथ उम्र भर के लिए दिया है।
लफ्ज़ कम पड़ जाएगें उसकी ख़ूबसूरती बयां करते करते,
आँखों में आँसू आ जायेंगे तेरे उसे मेहसूस करते करते,
क्योंकि शाम सवेरे, पहर पर पहर नाम तेरा ही लिया है,
मैंने तो तेरी सोच से परे तुझसे बेपनाह प्यार किया है ।।
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हजारों बातें होती उससे फिर भी लगती हैं कम,
बाहों में हो उसकी, ऐसे ख्वाब में रहते हैं हम,
जुल्फों से फिर अपनी वह मुझे छेढ़ती रहे,
पल ऐसे हकीकत भी हो, बस इतना चाहे मेरा मन ।।
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तेरा हंसता चेहरा दिल को सुकून दे जाता है,
आंखों में तेरी इस भटकते मुसाफिर को मुकाम मिल जाता है,
नित इबादत दुआएं करता हूं तुझे पाने के वास्ते,
जाने फिर भी क्यों रब मुझे खाली हाथ ही लौटा देता है ।।
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दिन वो ऐसा है कि दिल उसे कभी भुला नहीं सकता,
जुल्फों को तेरी खुद से अब मैं जुदा नहीं कर सकता,
इतने करीब से देखा है तेरी आँखों में खुद को,
कि अब तो तेरे सिवा मैं किसी और का हो नहीं सकता ॥-
हैं हम आशिक उन नशीली नजरों के,
बहकते उड़ते उन रेशमी जुल्फों के।।
माना होते नहीं आजकल अब ऐसे चर्चे,
पर हम तो आज भी मुस्कुराहटों पर ही हैं मरते।।
हैं हम आशिक उन पायलों की झंकार के,
माथे पर सजी उस बिंदिया के सिंगार के।।
माना होते नहीं आजकल अब ऐसे चर्चे ,
पर हम तो आज भी होठों की सादगी पे हैं मरते।।
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