जुगनू जाने कितने अंधेरो को आबाद करता है
वो मेरी शिकायत मेरे जाने के बाद करता है
कुछ तो बात दिल पे लगी है,
वो सामने बैठा हो, दिल फिर भी उसे याद करता है-
तुम भी मुस्कुराना चाहते हो न ?
मेरा दिल दुखाना चाहते हो न ?
मुद्दतो बाद आज खुश हूँ थोड़ा
मुझे फिर से रुलाना चाहते हो न ?-
जो बात होनी चाहिए वो बात नही होती
हम दोनों एक दिशा में जाते दिखे, ऐसी मुलाकात नही होती
ये बात अलग है कि तुमसे नाराज़ है
बोलना तो है तुमसे, मगर शुरुआत नही होती !-
जहाँ से कुछ नही देता दिखाई , तू वही किनारा है क्या ?
अब भी याद आता है मुझे , अब भी मेरा सहारा है क्या ?
इबादत की राहों में अब भी तुम आते हो
हर पड़ाव हार रहा हुँ , तुम्हारा ये खेल सारा है क्या ?
रास्ते जो जाने थे , वापस आ रहे है , नई बहार आयी है, बर्बाद होने का यही ख़ूबसूरत सा नज़ारा है क्या ?-
साँझ की खूबसूरती लुभा रही है मुझे
दिन के बाद सीधे रात नही आती, ये बता रही है मुझे
जब से मैने सूरज को लाल देखा है
बचपन की याद सता रही है मुझे
आसमाँ में कुछ तो सादगी है
शायद वो गौरइया , जो नज़र नही आ रही है मुझे
जिस शांति को मैं रोज़ ढूढता था वो मिल गयी
प्रकृति पुकार रही है मुझे !!!-
ये जो ज़िन्दगी है, पर निकल आये है इसके
इस बात को कैसे जताऊँ इसे
इंतेज़ार में हूँ
मौत का जो मीले साथ तो बताऊँ इसे !!!-
चमकती धूप में
तारे भी टिमटिमाने लगे है
बड़ी चालसाज़ी से तैयार की थी तुमने सियासत
अब और नही चलेगी
लोग लौट कर
अपने घर को आने लगे हैं!!!!-
ज़िन्दगी में सबसे बड़ा गुनाह गरीबी लगती है
न सरकार से इनकी बनती है
और नहि मौत इनकी सुनती है-
वक्त को कैद करने की चाहत थी उनकी
वक्त को कैद करने के लिए
उन्होंने इतना वक्त गवाया
कि वक्त बचाने के लिए उनके पास वक्त नही
काल के इस खेल में वो पूरे लीन हो गए
अब उनके पास वक्त ही वक्त है
वो वक्त आज भी आज़ाद है !!!
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देश की बढ़ती आबादी में
अपनापन कही खो गया है,
टकराते रहते है ये मोती
न जाने क्यों वो जौहरी
इन सबको एक ही धागे में पिरो गया है !!!-