Abhishek Mishra  
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Joined 9 May 2020


Joined 9 May 2020
6 JUL 2022 AT 11:27

रूखसती का प्यार
बहुत तसल्ली से
अंतहीन गहराई पर
छोड़ देता है मुझे

तैरना कहां आता मुझे
उबरना भी नहीं आता
बस इंतजार रहता है
और एक मुलाकात का

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14 MAY 2020 AT 21:56

उड़ाते रहना हमारी
आवारगी के बुलबुले
तुम, लिखते रहना

हवा में अपनी खुश्बू संग
मिलते जुलते रहना

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14 MAY 2020 AT 21:24

एक खत रोज़ लिखा उसने
पूरे दिन के किस्से कहानी
क्या पसन्द आया क्या नापसन्द
क्यो ऐसा हुआ वैसा नहीं
फूल कितने खिले
और चाँद कैसे मुस्काया
रोज़ एक खत, बरसों तक

हर खत के बाद
पता खोजा था उसने
खुशबू सी बची थी
मद्धम सी आवाज़ भी
पता नहीं था कहीं

इश्क़ से तरबतर किस्सों का
कोई पता कहाँ होता है

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11 MAY 2020 AT 22:07

भरी भरी आंखें
धुंधलाता चेहरा
एक हल्की मुस्कान 
और
धीमी सी आवाज़ में
उल्टी सीधी सलाह


पहली बारिश की खुशबू सी
याद रह जाती है
आखिरी मुलाक़ात

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9 MAY 2020 AT 15:59

ट्रेन बढ़ती रही
वह देखता रहा उसे
ओझल हो जाने तक
हाथ हिलते रहे
ना दिख पाने तक

अधूरे सफर,
किस्से बन जाते हैं
नए सफर की खातिर

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9 MAY 2020 AT 12:55

Wind Chime

खुद ही से लिपटी
इमारतों के भँवर में
बयार खोजती है
सुलझाता हूँ,
साँस तो भरती है
फिर रूठ जाती है

विंड चाइम
बच्ची सी गुमसुम
घर में दोस्त खोजती है

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9 MAY 2020 AT 12:43

दूरी इतनी रहे
कि साँसों के बीच 
ऑक्सीजन बची रहे
इतनी भी नहीं
कि साँसों की गति
मद्धिम पड़ जाये

दूरी नाप कर
सफर तो होते हैं
आवारगी नहीं

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