(तुम और मैं )
तुम सत्य पथिक की देवी हो,
मैं झूठा सूरज निकला हूं,
तुम सुबह की किरण मई उषा,
मैं शाम का बुझा अंधेरा हूं,
तुम कानन में हो प्रेमलता,
मैं अल्हड़ जोगी अलबत्ता,
तुम नदियों की कल कल सी हो,
मैं बीच धारा का मांझी हूं,
तुम रात अंधेरों की चंदा,
मैं शमा का एक पतंगा हूं,
तुम अपनी अधरो की चाहत,
मैं वर्षो तक का प्यासा हूं,
तुम तुलसी की चौपाई हो,
मैं मीरा का भजन निराला हूं,
तुम शांता राव की कथकली,
मैं बिरजू महाराज का कत्थक हूं ,
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