Abhishek Mishra   (सुदामा गाजीपुरी)
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Joined 31 December 2018


Joined 31 December 2018
13 APR AT 22:50

वक्त पर क्या गलत है क्या सही है बताते तो हैं,
सुदामा झूठे ही सही लोगों को आईना दिखाते तो हैं,
अब तहज़ीब नही है लोगों को अपने ईमान पर,
साथ चलते हैं लोग मगर झूठे कसमें खाते तो हैं,

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5 FEB AT 11:42

हर हादसों से होकर गुजरना ही पड़ता है,
अपनी कमजोरियों से इंसान को लड़ना ही पड़ता है,
और ख़ाक भिगोएगी ऐ घटाए अपने बौछारों से हमे,
सफ़लता के लिए खुन को पसीने में बदलना ही पड़ता है,

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10 JAN AT 10:48

उत्साह और उद्वेग का अब कदम बढ़ जायेगा,
केंद्र की सरकार का अब किला ढह जायेगा,
जो रेल कर्मियों की ना सुनी केंद्र की सरकार ने,
NPS का ये किला अब पानी में बह जायेगा,

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1 JAN AT 15:17

हम यहां इंसानियत का बोझ लेकर ढो रहे थे,
पर यहां कुछ लोग भी बेफिक्र हो कर सो रहे थे,
शाम को जब हम निकल कर घर से अपने आए तो,
सड़क पर गरीबों के बच्चे भूख से बिलखते रो रहे थे,

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13 DEC 2023 AT 19:47

हमारी किस्मत का कोई, क्या हिस्सा ले जायेगा,
हमारी दरियादिली को कोई, क्या आजमाएगा,
हम हर एक शख्स के गम को खरीदना चाहते हैं,
हमारे आशियाने से कोई, क्या खुशियां ले जायेगा,

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13 DEC 2023 AT 18:10

ये जो घटाओं की महफ़िल है बिजुलियो का किनारा लेंगे,
बादल जब भी मचल कर बरसेंगे धरती का सहारा लेंगे,

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10 DEC 2023 AT 9:58

मेरे सर पर मुसीबतों को बुलाओ और गुजर जाने दो,
मैं अभी जिंदादिल हूं मेरे ख्वाहिशों को मर जाने दो,
वो कहां है लोग जो दोस्त बनकर दुश्मनों सा बर्ताव करते हैं,
अगर उनकी साजिश है मुझे गिराने की तो मेरी तमन्ना है कि उनको सवर जाने दो ,

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4 DEC 2023 AT 13:10

(तुम और मैं )
तुम सत्य पथिक की देवी हो,
मैं झूठा सूरज निकला हूं,
तुम सुबह की किरण मई उषा,
मैं शाम का बुझा अंधेरा हूं,
तुम कानन में हो प्रेमलता,
मैं अल्हड़ जोगी अलबत्ता,
तुम नदियों की कल कल सी हो,
मैं बीच धारा का मांझी हूं,
तुम रात अंधेरों की चंदा,
मैं शमा का एक पतंगा हूं,
तुम अपनी अधरो की चाहत,
मैं वर्षो तक का प्यासा हूं,
तुम तुलसी की चौपाई हो,
मैं मीरा का भजन निराला हूं,
तुम शांता राव की कथकली,
मैं बिरजू महाराज का कत्थक हूं ,

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30 NOV 2023 AT 4:51

हरे साख पर अब परिंदों का बसर नहीं होता,
रिश्तों में मिलावट आ जाए तो असर नहीं होता,
निभाने वाले अब भी जान देकर निभाते हैं रिश्ते,
मगर रिश्तों में दरार आ जाए तो गुजर नही होता,

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12 NOV 2023 AT 15:41

अगर तुम अपने आप को मना सकते हो ,
तो हमारा गिरेबां भी उतना मैला नही हैं,
और रही झुकने की बात तो तहज़ीब है हमारी रगो मे मोहब्बत की,
वरना किसी के सामने ये हाथ आज तक फैला नही है,

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