Abhishek Kumar   (बेजुबान लम्हें)
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Joined 9 April 2018


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24 OCT 2022 AT 23:37

Unnecessarily infamous cigarette. this is the medicine for that disease which is not mentioned in MBBS syllabus....

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9 MAR 2021 AT 14:33

ये इश्क़ तोहफ़ा है ख़ुदा का.
सबको कहां मिल पाता है .
यादों में ही डूबना होता है.
साला हर कोई कुंदन कहां बन पाता है .....

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25 MAY 2020 AT 20:05


देखकर तस्वीर तेरी यूं ही कहीं खो जाता हूं.
चंद लम्हें ही सही .
बात करता हूं तो बहुत मुस्कुराता हूं .
फेहरिस्त ए मुकम्मल इश्क में नाम शामिल भले ना हो हमारा
फ़िलहाल तो आलम ये है कि.
ख्वाबों में मिलने के खातिर अब जल्दी सो जाता हूं.

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27 APR 2020 AT 12:39

कुछ अनकहे से शब्द बेहिसाब लिख रहा हूं
जमीन पर बैठ आफ़ताब लिख रहा हूं
तुम जान जाओगे खुद को खुद से बेहतर
मैं तुम्हारे ऊपर एक किताब लिख रहा हूं...

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20 APR 2020 AT 10:57

सिद्दते ए उंस की पनाह में फिर जायेंगे बेशक
के पहले वाला ज़रब ए ज़मीर तो भर जाने दो ...

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17 APR 2020 AT 10:38

यहां सब मतलबी है. किसी पर ऐतबार ना कीजिए .
यकीन मानिए जन्नत हो जाएगी जिंदगी
खुद से प्यार कीजिए .किसी का इंतजार ना कीजिए.

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27 MAR 2020 AT 7:22

क़लम ,वरक और स्याही को
मैं अक्सर छेड़ देता हूं .
मगर जब याद आती है तुम्हारी
मैं अब लिखना छोड़ देता हूं.


(वरक-Blank page)

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22 JAN 2020 AT 12:59

लिखने कम लगा हूं। फ़कत अब यादों का तलबगार नहीं हूं.
बज़्म-ए-यारा में रहता हूं .अब कहीं और जाने को तैयार नहीं हूं .

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31 OCT 2019 AT 20:11

मेरे साथ फ़लक तक जाने की बात करती है
एक तेरी तस्वीर है. जो मुझसे बात करती है.

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12 OCT 2019 AT 12:18

यादें, क़लम ,व़रक, स्याही और नदी का किनारा
लिखूं कोई नज़्म जिसमें ज़िक्र हो सिर्फ तुम्हारा........

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