ABHISHEK KAUSHIK   (अभिषेक कौशिक)
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Joined 20 October 2018


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Joined 20 October 2018
9 AUG 2020 AT 22:10

लम्हा तेरे यादों का
भूल कभी नही सकता हूँ,
सुबह सुबह जब आँख खुले
तेरे छवि को हीं मैं तकता हूँ।।

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3 AUG 2020 AT 8:19

क्यों तुम मेरे यादों में ,
एंजाइम की तरह आते हो।
बीते दिनों की बातों को,
उत्प्रेरित कर जाते हो।
मंद अभिक्रिया करने आते हो,
उत्पाद में टूटे दिल बनाते हो।
बार बार तुम आते हो,
उदासीकरण अभिक्रिया दर्शाते हो।
विस्थापन अभिक्रिया दिखाकर तुम,
क्यों वियोजित हो जाते हो।
काश। तुम एनोडीकरण कर पाते,
दिल पर मजबूत परत चढ़ा जाते।।
😉😉😉अभिषेक कौशिक😉😉😉






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31 JUL 2020 AT 7:29

कैसे पूरे करूँ सपने दबे झुंड का,
धुँआ हीं धुँआ बिछे हैं नस्लें बैर का।।

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29 JUL 2020 AT 21:41

मेरा क्या है मैं तो चिराग हूँ,
एक न एक दिन बुझ जाऊँगा।
बीते पलों की तरह हीं सही,
जग में छाप छोड़ जाऊँगा।।

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28 JUL 2020 AT 9:15

शिकायतें तुमसे क्या करूँ ए जिंदगी।
तुने जो दिया बहुतों के नसीब में नही।।

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17 MAY 2020 AT 21:10


दो वक्त की रोटी कमाता हूँ,
राज्य का प्रवासी कहलाता हूँ,
मेहनत और ईमानदारी दिखाता हूँ,
फिर भी व्यंग्य और तंज पाता हूँ,
और कब तक ठोकर खाता रहूँ,
घर छोड़ प्रदेश को जाता रहूँ ।।

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17 MAY 2020 AT 20:28

कब तक ?
दो वक्त की रोटी कमाता हूँ,
राज्य का प्रवासी कहलाता हूँ,
मेहनत और ईमानदारी दिखाता हूँ,
फिर भी व्यंग्य और तंज पाता हूँ,
कब तक ठोकर खाता रहूँ,
घर छोड़ प्रदेश को जाता रहूँ !!
अभिषेक कौशिक



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22 MAR 2020 AT 8:01

जब वो पास आती है,
आंखे बंद हो जाता है,
चारों ओर खुशबू महकता है,
बीते पलों में फर्क इतना है,
पहले डियो की खुशबू आती थी,
अब सैनिटाइजर महकता है।।

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19 FEB 2020 AT 18:56

सब कुछ भुला दिया मैंने,
बस तेरी यादों को छोड़कर।।

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11 SEP 2019 AT 22:17

मैं जब जाऊं राम प्रेम में,
जन जन मेरे साथ चले,
ऐसे कर्म पसारूं जग में,
युग युग जन सुध वास रहे।।

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