कितना भागेगा तू
कभी थोडा रुक भी जाया कर
कितना घमंड रखेगा तू
कभी थोडा झुक भी जाया कर
कितना संभालेगा खुद को
कभी बिखर भी जाया कर
कितना डरेगा जालीम दुनिया से
कभी अपने आप से भी निडर रहा कर
कितना भुलेगा अपने आप को
भागदोड कभी आयना भी देखा कर
जमाने का छोड तू..
कभी खुद के सामने खुद को भी रखा कर
क्यों हसता रेहता है सिर्फ उपर से
कभी दिल से भी मुसकुराया कर
किसी और को चाहने से
खुद का व्यक्तित्व मत पराया कर
क्यों नफरत करता फिरता है सबसे
कभी जिंदादिल हो कर देख
जिंदगी लगेगी हसीन बचपन जैसी
कभी तू मोहब्बत कर देख..!
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