कुछ रिश्ते थे जो मेरे दिल से जुड़े थे।
दूर हो गए, जब वो मोड़ पर मुड़े थे।।
देखा न पलटकर, एक बार भी उसने।
और एक हम, इंतज़ार में वहीं खड़े थे।।
From my novel-इश्क़:रूह से रूह तकः सीजन-2-
उड़ती धूल, अब हुई शांत,
उल्लसित हुआ, तन क्लांत,
धरा की बुझी पहली प्यास,
हुई आज है पहली बरसात,-
Aapki life me bhi kuch log ese
Jarur honge.
Jo good night ya good bye bol kar bhi
Fir se baat krna start kar dete hai.😂
Aur fir jab tak do char bar good night ya good bye kar ke or aadha ghnta na nikal de baate hi khtam nhi hoti hai.😂😂
Ye wahi log hai jinse aapka dil❣️ ka connection hai. Sambhal kar rkhna inko.-
प्यार इश्क़ मोहब्बत इसे क्या तुम समझते हो,
ज़ब आ जाये पसंद कोई उसी पर तुम मरते हो।
प्यार की परिभाषा तुमने पढ़ी ही गलत है,
जिससे हो इश्क़ फिर लगती उसकी लत है।
फिर मन आशिक का उधर इधर नहीं फिरता है,
हजारों की महफ़िल मे, ध्यान उसी पर ही टिकता है।
हर चेहरे मे तब सूरत उसकी नजर आती है,
वो देख ले एक बार तो किस्मत संवर जाती है।
जिस्म की जो करें चाहत, वो मोहब्बत नहीं होती,
खुदा न बनाता इश्क़ तो, उसकी इबादत नहीं होती।-
इस मशीनी दौर में,इंसानों के शोर में,
दुनिया के छोर में, सूरज की भोर में,.
चमक उठो जैसे कोई मनका,
चुपके से सुनो जरा संगीत मन का
दुनिया ये बेमानी है,करती मनमानी है,
तू क्यों अनजानी है,सुनना इसकी नादानी है,
बहने दे खुद को यूं नदी में तिनका,
चुपके से सुनो जरा संगीत मन का
इसमें न सुर साज़ है,मन की ये आवाज है,
कल थी ये और आज है,छुपा इसमें गहरा राज़ है,
दूर कर देगा ये बोझ तेरे मन का,
चुपके से सुनो जरा संगीत मनका
वो जो तेरे आस पास है,तेरे दिल के खास है,
जीवन का प्रकाश है,मन का ये आभास है,
सुन क्या सच है हर बंधन का,
चुपके से सुनो जरा संगीत मन का
तेरे जो मन मीत है,जिनको तुझसे प्रीत है,
वही तेरा संगीत है,वही तेरा प्रेम गीत है,
उनसे ही रिश्ता रख तू मन का,
चुपके से सुनो जरा संगीत मन का-
ये समझ आ जाता है,
सदा कोई
एक सा नही रह पाता है,
चढ़ जाए चाहे कितनी बुलंदी
एक दिन
ढलते सूरज सा ढल जाता है।-
हर कोई खास नहीं बनता
होती है ज़ब पहली मुलाक़ात
रहते है दो लोग अजनबी और
तब कम ही होती है बात
फिर धीरे धीरे मिल जाते है
विचार तो साथ होते है हम
पर तब भी दिल के राज
हम बताते है कम से कम
कभी कॉल कभी मैसेज मे
एक दूसरे को जानने लगते हैँ
हो जाती है फिर दोस्ती
अपना उनको मानने लगते हैँ
एक वक़्त पर होने लगती है
फिर बातें दिन और रात
और तब याद आती है हमें
उनसे वो पहली मुलाक़ात-
थोड़ा थक सा गया हूँ ,
इसलिए ज्यादा बोलना छोड़ दिया है ।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ,
मैंने रिश्ते निभाना छोड़ दिया है ।
अक्सर रिश्तों में अजीब सी दूरियाँ बढ़ जाती है,
लेकिन ऐसा नही है कि
मैंने अपनो से बात करना छोड़ दिया है ।
हाँ.. अकेला महसूस करता हूँ
अपनो की इस भीड़ में,
पर ऐसा नही है कि मैंने अपनापन ही छोड़ दिया है ।
याद तो करता हूँ सभी को,
परवाह भी करता हूँ ।
पर कितना करता हूँ , ये बताना छोड़ दिया है|-
आज वो मूर्ख भी कम नही होंगे जो स्टेटस लगा कर बताएंगे की रावण बहुत महान था, वो अपनी बहन के लिए भगवान श्रीराम से लड़ गया था, उन मूर्खों को ये पता नही की उसी बहन के पति की हत्या रावण ने ही की थी और शूर्पणखा ने रावण को मन ही मन सर्वनाश का श्राप दिया था।
इसलिए श्रीराम आदर्श होने चाहिए, महापापी रावण नही।-