मन में जो था वही है फरमाया, न ज्यादा पाने की चाहत की , न कम है चाहा। यूं में कैसे बता दूं, क्या था मन में, क्योंकि न तुमने जानने की चाहत की, और न मैंने जताया।।
अगर इतने ही पास थे तुम , तो फिर दूर कोन था, ये दिल कुछ बयां करना चाहती थी , मगर जुबान कहां था, अगर कसूर था किसी का तो , सायद जमाने का था वरना रात भी चांदनी थी , और दिन सुहाना था।
The greatest force , the silent splendid , the robust man - Father. How can somebody express him in words , it's just a truth you carry throughout your existence.