नया साल~पुराना साल.....
कुछ लोगों से बना है रिश्ता,
और बहुतों से बिगड़ गया।
जैसे-तैसे, करते-धरते,
यह साल भी गुजर गया।।
कुछ लोगों को मिली है जन्नत,
कुछ का घर भी उजड़ गया।
किसी ने बनवाया, सुंदर सा महल,
खुब गुलिस्ताँ सजवाई।
इक महल के कारण लेकिन,
कितनों का चमन उजड़ गया।।
इक लड़की को देखा मैनें,
कह रही थी किस्मत चमक गया।
उस लड़की के कारण ही, पर,
दूजी का प्रियतम बिछड़ गया।।
किसी के माथे, चढ़ी थी सिंदूर,
किसी के सर से उतर गया।
कुछ लोगों का बना है रिश्ता,
पर, कुछ का तो बिगड़ गया।
जैसे-तैसे, करते-धरते,
यह साल भी गुजर गया।।
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