Abhishek Dubey   (Abhishek Dubey “अतुल”)
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Joined 26 September 2017


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Joined 26 September 2017
6 MAR AT 18:08

उर की आतुरता से प्रिय,
अंतस् की बात बताते हैं,
यादों में तुम्हारे धवल वक्ष
मुझको बहुत सताते हैं,

कुछ तो ऐसा प्रबंध हो कि
तुम पर थोड़ा वर्चस्व हो,
मादकता से सिंचित हो तन,
जब सर्व समर्पण सर्वस्व हो,

मेरी जिज्ञासा का मर्दन,
अब सिर्फ़ तुम्हारे पास है,
आकुल मन की बात समझो,
नश्वर तन हमारे पास है,

समझो इस अनुमोदन को,
तुम प्रेम का उपकार करो,
दिवा रात्रि का बस एक स्वप्न,
उसको तुम स्वीकार करो।

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5 MAR AT 18:13

जा री कलम तुमने तो, मुखड़ा ही मोड़ लिया,
लिखने की चाहत थी, लिखना ही छोड़ दिया,
उम्र की गति में आशाएँ नश्वर हो चलीं “अतुल”,
मन स्थिर हो उठा अब, विचरना ही छोड़ दिया ।

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1 JAN AT 0:41

Happy New Year is cliche so, I wish you to find creative ways to screw your life more royally in the new year, be a dope, get promoted, have some great coitus without getting caught.. Roll On 2024, Cheers!😜

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3 DEC 2023 AT 9:16

====अब का कहें..पढ़िए लीजिए😀====

विचारों के अथाह सिंधु में गोते लगाते हुए जब तुम्हारे समीप पहुँचा, तुमको देखते ही मेरे तन मन में एक सिहरन की अनुभूति होने लगी.. मैं ठिठक गया और मेरे मन में एक द्वन्द हो उठा की क्या आज वो दिन है जब मैं तुम्हारे सानिध्य में पहुँच कर तुमको स्पर्श कर पाऊँगा?हम दोनो के बीच की दूरी लगभग नगण्य थी परंतु जाने किसी अजीब से आक्रांत से मैं तुमसे दूर था, शायद तुमको छूने के पश्चात के परिणाम का आक्रांत।

इस ऊहापोह की स्थिति को एक अपेक्षित परिणाम तक पहुँचाने के लिए मैं अपने मानस पर हर तरह के बल को एकत्र कर रहा था। ये मेरा मन जो कभी तुम पर विमूढ़ हुआ करता था,इतना की मैं लगभग घंटो तुमसे प्रेमालाप कर रहा होता था। परन्तु,आज मेरा स्वभाव एक अनावश्यक जड़ता से मुझे तुम से विमुख कर रहा था। फिर, कहीं से किसी विचार ने मेरी चेतना जागृत की और हर बल को बटोर कर मैं तुमको स्पर्श करने का मन बना लिया। और फिर तुमको मेरा प्रथम स्पर्श जिसने मेरे सिहरन को जाने कितने गुणे से बढ़ा दिया, पर, इस बार मैं जड़ता की अवस्था से आगे निकल चुका था और फिर बड़ी तन्मयता के साथ तुम को अपने तन पर धारण करने लगा। थोड़ी ही देर में मेरी आत्मा तृप्त हो गई पर एक अनुभव जो सर्वदा रह गया
“ससुरा जाड़े में ठंढे पानी से नहा लेना महासमर में विजेता बनने जैसा ही है” 😃

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11 NOV 2023 AT 10:10

आपके पास इतना धन बरसे कि आप income tax बचाने को तरसें। दीवाली की अनंतानंत शुभकामनाएं। 😀

May your earnings cleverly outwit your tax-saving strategies. Happy Diwali! 🤣

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14 FEB 2023 AT 12:37

क्यूँ हिचकियों से तंग हुए जा रहे हम आज,
जाने कौन-कौन पुराने पन्ने पलटने बैठा है… 😄

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1 JAN 2023 AT 22:20

नव वर्ष मंगलमय हो बहुत ही घिसा-पिटा सा वाक्य है इसलिए मैं यह नहीं कहूँगा।

मैं कामना करता हूँ कि आप इस वर्ष को रचनात्मक ढंग से बर्बाद करें। जैसे की आप हर पखवाड़े में मुझे उपहार भेज सकते हैं और संसार में मेरी धन्यता का बखान कर सकते हैं। 😀🤣

Happy New Year is so friggin cliche.

So, I wish you to ruin this year in some great creative way. Possibly like sending me gifts every fortnight and letting the world know about awesomeness I carry.
Have a good one! 🤣😀

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1 JAN 2023 AT 22:13

Happy New Year is so friggin cliche.

So, I wish you to ruin this year in some great creative way. Possibly like sending me gifts every fortnight and letting the world know about awesomeness I carry.
Have a good one! 🤣😀

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19 NOV 2022 AT 17:36

As long as a man is earning and meeting everyone’s expectations. He is attributed as good son, good husband, good brother, good lover and overall a good man. An unemployed man carries a trashed existence in his own family and kins. Majorly a man is nothing more than a robot which is great till it works. Reality Bites but, That’s what it is…
जब तक एक मर्द कमाता है और सबकी आशाओं की पूर्ति करता है। उसके गुणों से वह एक अच्छा बेटा, अच्छा पति, अच्छा भाई, अच्छा प्रेमी और अच्छाआदमी है। एक बेरोज़गार आदमी अपने ही परिवार में अस्तित्वहीन होता है। मुख्यतः एक आदमी रोबोट के जैसा है जो जब तक चल रहा है लोग उसकी वाहवाही कर रहे हैं।सत्य कड़वा है पर सत्य तो है।

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13 OCT 2022 AT 9:36

बात मेरे पहले job की है कुछ काम करते करते अचानक एक सहकर्मी पर नज़र पड़ी जो बड़ी बेचैन स्थिति में, लग रहा था जैसे बेहोश होने वाली है। मैं उनसे पूछा की क्या हुआ सब ठीक है? तो उनका जवाब आया वो व्रत में हैं और थोड़ी परेशानी हो रही है उनको। मुझे लगा की ये कोई साप्ताहिक मंगलवार जैसा व्रत होगा तो इसकी आदत होगी पर ये उनका करवा चौथ का व्रत था और वो चाँद वाली रस्म के बाद ही पानी पियेंगी।
मैं छोटी जगह का रहने वाला थोड़े असमंजस की स्थिति में पड़ गया क्यूँकि वो शादी शुदा नही थी और जो मुझे मालूम था कि यह व्रत पत्नी अपने पति के लिए करती हैं। बहरहाल वहाँ और सहकर्मी पहुँच गए और बात होने लगी तो मोहतरमा ठीक महसूस करने लगी। अब ना जाने कौन सी curiosity का कीड़ा मुझे काट दिया था। मैंने उनसे पूछा

मैं - “तुम्हारी तो शादी नही हुई है फिर ये व्रत?”
वो - “हाँ। ये मेरे boyfriend के लिए रखा है?”
मैं - “अच्छा। ऐसा भी होता है क्या? मतलब शादी हो जाएगी फिर इससे”(खाँटी आदमी के लिए विश्वास करना कठिन है)
वो - नही। ऐसा जरुरी नही है।
मैं - “ग़ज़ब त्याग का भाव है यार”। (एकदम respect दे दिए)
वो - “अरे नही। इसके पहले वाले के लिए भी रखती थी मैं”
मैं - “अरे यार मतलब फिर तो तुमको दो चार मुँह देखना पड़ता होगा छननी से “🤣😂
(अब सारे लोग हँसने लगे)

खैर सबके insist करने पर madam ने अपने तात्कालिक boyfriend से बात कर के खाना पीना कर लिया। किसी के लिए कोई judgment नही है दिमाग़ में, सबकी अपनी life है और सबको आदर भाव से देखना चाहिए लेकिन ई ससुरा height था ब्रो। 😬

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