क्या बात है आजकल गुमसुम से रहते हो,
ये सोचकर हम भी सहमे से रहते हैं।
कहने दो जो कह रहे हैं लोग तुमसे,
बस हंस दिया करो देखकर दो चार बार दिन में।
निकल जायेंगे ऐसे ही ये दिन सचिवालय के,
लेके कुछ मीठी सी यादें और मुलाकातें।
मुलाकातें तो याद नहीं लेकिन वादे जरूर याद हैं
सो फर्क नहीं पड़ता कम से कम यादें तो साथ हैं।
यादों का साथ भी एक अलग सुकून देता है,
यही है जो रोज सेक्शन आने का जुनून देता हैं।।
जुनून जिंदा रहेगा तुम्हारे जाने के बाद भी,
बस मिलते रहना इस सफर के बाद भी 📝📝
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