मैंने सीखा है फूलों से,
कभी मुस्कुराकर खिल उठना
और तो कभी बस यूंही झड़ जाना-
बहुत पीछे से आया हूँ
बहुत आगे है जाना
बस अभी काम की उम्र है
अभी ना पूछो
कहाँ है मेरा ठिकाना-
गौरतलब बात यह है कि आज हम प्रेम पहले करते है,
तथाकथित तौर पर जिसे हम प्रेम कहते है,
स्वीकारना बाद में सीखते हैं।-
एक दुनिया जिसमें हम रहते है
एक दुनिया हमारे अंदर भी है
बिल्कुल किसी समानान्तर दुनिया के
किसी सिद्धांत की तरह
जो यह समानान्तर रेखाओं पर बनी दुनिया है
इसका कोई छोर भी है कि नहीं ?
या फिर चलती रहती है
उन दो समानान्तर रेखाओं की तरह
जो आपस में कभी नहीं मिलती
खैर मैं और तुम
ऐसे किसी भी दुनिया का हिस्सा नहीं है
य़ह मात्र कल्पनायें हैं
( पूरा पढ़ने के लिए caption में देखे )-
सुना है, युद्ध में हमेशा दोनों तरफ़ को कुछ नुकसान हुआ है, एक
तरह से हर किसी को कुछ न कुछ गवाना पड़ता है।
परंतु इस मन के युद्ध में ना जाने कितनी
बार खुद से ही जीत कर खुद
को ही हराना पड़ता है।-
वर्षों बाद मिले है, सदियों से दबे ज़ज्बात बहुत है
लोगों ने कई नुस्खें बताए, सुना है इस रोग के इलाज बहुत है।
कह डालो जो कहना है, इन शब्दों तले दबे अल्फाज़ बहुत है
ना जाने सदियों से दफन, हमारे बीच गहरे राज बहुत है।-
जब तक वाद-विवाद का उद्देश्य, किसी निष्कर्ष पर पहुँचने की
बजाय केवल सामने वाले व्यक्ति की पराजय करना है, तब
तक लोकतंत्र की जय असंभव है।-
खुले आसमान में
हमने कभी
सिर पर छाता नहीं रखा
फ़िर चाहे धूप थी या फिर थी बारिशें
हमने दोनों के साथ जीना सीखा-
एक समुद्र बसा होता है
मौन की गहराइयों में
जिस पर नियंत्रण पाना
मुश्किल तो हो सकता है
परंतु असंभव नहीं
मैंने मौन को समुद्र की
गहराइयों में भी नापा है
और एक साधु की
साधना में भी पाया है-
हमारे माता-पिता हमे अपनी उंगली पकड़कर विद्यालय तो ले आते हैं, परंतु वह एक अध्यापक है, जो जो हमे बिना किसी सहारे के इस दुनिया के साथ सर उठाकर चलना सिखाता है।
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