Abhishek Chaturvedi   (©_ अभिषेक चतुर्वेदी_अभि)
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शब्द ही मेरी पहचान हैं
Joined 19 August 2020


शब्द ही मेरी पहचान हैं
Joined 19 August 2020
15 HOURS AGO

डूबती शाम की लाली ने ये सिखलाया मुझे,
रंग सूरज का फना है, वक़्त बहलाया मुझे।

अभि रंग-ओ-नूरों की रवानी जब गई साया बदल,
एक तन्हा सिलसिला था, उसी ने समझाया मुझे।

ख़्वाब बिखरे इस क़दर कि पलकों से चुपचाप ढले,
फ़िर शाम के आँचल ने भी बस और शरमाया मुझे।

बुझती लाली में था इक जज़्बा कोई रूठा हुआ,
जिसने हर सर्द लम्हे में भी तपाया मुझे।

अब अंधेरे से भी रिश्तों की तरह लगने लगा,
उस उजाले ने ही शायद दूर फरमाया मुझे।...1/24

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15 HOURS AGO

ख़ाक होती गई हर आह, हर इक मौज-ए-नज़र,
इक तमन्ना ने भी आख़िर थक के ठुकराया मुझे।

रंग जब तक थे, तसव्वुर भी महकता था 'अभि',
रंग उतरे तो तअम्मुल ने ही भरमाया मुझे।

लब पे आई तो नजाकत से बिखरती रही बात,
ख़ामुशी ने मगर हर बार समझाया मुझे।

यूँ लगा जैसे कोई वक़्त ठहर सा गया हो,
जब नज़ारों ने भी पलकों पे सजाया मुझे।... 2/24

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15 HOURS AGO

डूबती शाम की लाली ने ये सिखलाया मुझे,
रंग सूरज का फना है, वक़्त बहलाया मुझे।

रंग-ओ-नूरों की रवानी जब गई साया बदल,
एक तन्हा सिलसिला था, उसने समझाया मुझे।

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17 HOURS AGO

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12 MAY AT 20:37

मनुष्य से और मनुष्यता से घृणा करके,
ये कौन लोग हैं जो क़ुरान और क़िताब चूम रहे हैं
बेशक वो क़िताब जबरन छीन लो उनसे.......
मनुष्य और मनुष्यता को मारकर,
वो क़िताब चूम रहा है
उन जाहीलों और मूर्खों को बताओ
किसी मनुष्य ने ही वह क़िताब बनाई है
और वो मज़हब बनाया है,
उस मज़हब ने मनुष्य को नहीं बनाया....
कोई समझाओ ऐसे जाहीलों को....
उसे पर चर्चा करो उसने लिखी शायद
ज्ञान की बातों को समझो और समझाओ....

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12 MAY AT 20:12

मधुमक्खी की तरह जीना चाहिए दोस्तों 👍
ज़िंदगी में मिठास रखो, शहद बॉंटो 😘
फ़िर तुम्हें कोई छेड़े तो, उसका मुॅंह सूजा दो...😅

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12 MAY AT 19:38

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12 MAY AT 15:15

किसी और की ज़िंदगी जी रहे हैं हम
अभि अपने ही सॉंसों में घुट रहे हैं हम

जो ख़ुशियाँ थीं अपने ही हिस्से की सभी
किसी और को बाँट दी, फिर घुट रहे हैं हम

न अपनी हैं साँसें, न अपने हैं ख़्वाब
मग़र फ़िर भी देखो अभि जी रहे हैं

अब शायद ये चेहरा हमारा नहीं रहा अब
मग़र आईनों में वही हैं जो दिख रहे हैं हम

हमें ग़म मिला, ये सिला तो मिला
मगर क्या करें, फिर भी ही जी रहे हैं

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11 MAY AT 20:13

नारी को चरित्र हीन कहने का हक़
किसी भी पुरुष को नहीं हैं ,
क्योंकि पुरुष के स्पर्श के बिना,
कोई भी नारी कभी चरित्रहीन नहीं हो सकती...!

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11 MAY AT 10:04

ये छोटे से बच्चे को यूँ राह में छोड़ आई,
ममता भी जाने क्यों पत्थर-सी हो आई।
जिन हाथों ने कल तक दुलार ही बाँटा था,
अभि वही झटक कर उसे भीड़ में खो आई।

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