Abhishek Chakraborty   (AbhishekChakraborty-Abhi)
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Joined 17 May 2019


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Joined 17 May 2019
19 APR AT 19:06

ये दुनिया जैसे एक बुखार है,
और दोस्त एक पैरासिटामोल।

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19 APR AT 18:43

ये इश्क भी यारों इस दिल पर उस उधारी सा है
जैसे उस विक्रमादित पर, बेताल की सवारी सा है,
ज़वाब होता ही नहीं एक, फ़िर सवाल चाहे जो हो
जबकि हर सवाल का ज़वाब, एक ही होता है।

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15 DEC 2024 AT 21:29

ये ख़ामोशी भी, ना जानें कितना कुछ कह जाती है,
वहीं बोलने पर भी, अक्सर बातें अधूरी रह जाती है,

मिलता नहीं सुकून, यूँ तो कभी इस तन्हाई में मुझको,
और ख़बर नहीं क्यों ये भीड़ रूह को सुकून दे जाती है।

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4 AUG 2024 AT 13:03

दोस्ती में कभी कोई दरमियान नहीं होता
दोस्त बनाने का कोई इम्तिहान नहीं होता,

ये तो मिलन है चंद दिलों का धड़कने को साथ
कि ये प्यार से धड़कते हैं, कोई गुमान नहीं होता,

बेशक माना कि ये दोस्त, बड़े ही कमीने होते है
बेशक माना कि ये दोस्त, बड़े ही कमीने होते है,

मगर.........
दोस्त पाक होते है, कोई बेईमान नहीं होता।

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29 JUN 2024 AT 9:47

ना कोई गिला है, ना शिकवा कोई
मुझसे जो मिला, है वो अपना कोई,

यादों के गलियारों में, मची ऐसी हलचल
दिल पे हो बादल गरजना कोई,

चाहत थी इसकी मुझे इस क़दर जैसे
अब्र का, धरा को तरसना कोई,

मिला वो तो महफ़िल यूँ रौशन हुई
अंधेरे में, जुगनू चमकना कोई,

वो खींचें मेरी जाँ मुझे अपनें जानिब
हुआ है मुक़म्मल कि सपना कोई,

लगा यूँ , ये वक्त ना गुज़र जाए ऐसे
कि पल में ही, पलकें झपकना कोई,

लगा जो गले, फिर तो ऐसा लगा कि
खुद की ही रूह से लिपटना कोई।

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28 JUN 2024 AT 10:33

मैंने तो मुहब्बत तुझसे हर दफ़ा किया है,
तेरी खताओं को माफ़ी का हक़ अता किया है,
मैं गुनेहगार हूँ तेरा, तो तू सज़ा दे मुझे,
अनजाने ही सही गर मैंने कोई जफ़ा किया है।

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26 JUN 2024 AT 22:22

आगोश में वो आए तो ये सांसें थम गई
एक चांद बहक गया, एक रात खिल गई,

उनकी सांसों से मेरी सांसे कुछ ऐसे घुल गई
मानों जैसे, मुझको ये पूरी कायनात मिल गई।

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26 JUN 2024 AT 22:13

सुनो, मुझको तुम्हारे संग ये जिंदगी
बड़ी मज़े से जीनी है,
क्या ख़बर कब ये सांसें टूट जाए,
कि ये बड़ी ही झीनी है।

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26 JUN 2024 AT 22:09

इक बार देखा तुमको, तो दीवाना बन गया
शम्मा पर मर मिटे, वो परवाना बन गया,

इस इश्क की डगर में, काटें बिछे हजारों
जो पार कर ले इसको, अफ़साना बन गया,

जिस्मानी इश्क नहीं, है ये रूह से मुकम्मल
जो मिल गया तो जन्नत, वरना बेगाना बन गया।

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26 JUN 2024 AT 21:57

मन चला है आज यूँ
पुराने दिन को ढूँढने
हवाओं के जो हो गए
पतंग जैसे खो गए
ज़रा ज़रा बदल गए
जानें कब ख़बर नहीं,

ले चला ये आसमाँ
जानें अब हमें कहाँ
सोचा ही नहीं जहाँ
यूँ ही उड़ चले वहाँ
चल पड़ा ये कारवाँ
जानें कब ख़बर नहीं,

बादलों सा वक़्त ये
चल पड़ा ये किस डगर
बह चला यूँ बेफ़िकर
जैसे बहता सा धुआँ
फ़िर से लौट आऊँगा
जानें कब ख़बर नहीं।

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