Abhishek Bhandari   (Abhishek Bhandari)
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Engineer
Joined 18 July 2019


Engineer
Joined 18 July 2019
4 DEC 2022 AT 22:35

हम जहाँ टूटते है उसे जोड़ने की नाहक कोशिश करते है जबकि हमे टूटे हुए हिस्से में ही जी लेना चाहिए।

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25 NOV 2022 AT 23:37

तुम अब नही आना
मिज़ाज अब पहले जैसा नही है

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1 APR 2022 AT 14:11

इश्क़ नही तो क्या हुआ, इश्क़ जैसा ही कुछ करता हूँ....हालांकि सच्चा तो हरगिज़ नही, पर तुमसे जो कुछ कहता हूं, सच जैसा ही कुछ कहता हूं।

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26 FEB 2022 AT 16:06

इस कायनात में कोई और सूरत ही नही।
तुम्हे पसंद न करते तो भला क्या करते।।

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19 JAN 2022 AT 21:10

एक धूनी जमाये हो कबसे मेरी पलकों पे,
एक नींद को बाँध रखा है अपने दामन से।
एक ख़्वाब को आने से रोक रखा है आँखों की चौखट तक।
एक ख़्याल को क़ैद किया है हवाओ में।
ऐ शख़्स तुम मुझे आज़ाद कर क्यों नही देते।

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24 DEC 2021 AT 19:29

कितनी अधूरी सी हो तुम, आधी बोलती आंखे, आधे घुंघराले बाल, आधी दबी सी मुस्कुराहट, आधे बोलते से अंदाज़।।

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25 NOV 2021 AT 22:07

इससे पहले कोई बात इतनी अहम नही थी
अब बुरा कहते हो तो बुरा लग जाता है।

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24 NOV 2021 AT 19:55

जानती हो, ज़िंदगी लम्हों में होती है उन लम्हों के भी कुछ हिस्से होते है। जैसे अभी ये लम्हे हम जी रहे है ये वाक़ई अपने आप में खास है क्योंकि कोई भी चीज़ बहुत गैरमामूली नही हो सकती यहाँ तक तुम्हारा पहली बार मेरा नाम लेना भी। बाक़ी तमाम उम्र हम क़िरदार निभाते नज़र आएंगे। कभी तकल्लुफ में कभी ज़रूरतो में कभी घर पड़ोसी रिश्तेदारो अज़ीज़ों के लिए कभी रोज़ी रोटी के लिए।

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20 NOV 2021 AT 21:50

वो शख़्स मुद्दतों ठहरा रहा और जब उसके चले जाने के इमकान होने लगे तभी क्यों उससे इश्क़ होने लगा।

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23 OCT 2021 AT 21:37

तुमसे बहुत शिकायत है मगर जो शिकायत सबसे अहेम है वो ये है कि तुमने किसी भी शिक़ायत का ख़ुद तक पहुंचने का ज़रिया नही छोड़ा।

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