खयालों से चुरा कर....
खयालों से चुरा कर ,
इश्क़ की स्याही से कुछ लिखा था ।
कागज़ पर लिखे शब्दों में ;
मेरा हाल-ए-दिल छिपा था ।
तुमने जिसे बस शायरी कह दिया ,
वो तो दरअसल,
मेरे, अनकहे एहसासों का, एक सिलसिला था ।
खयालों से चुराकर ,
कुछ कागज़ पर लिखा था ।
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अनजान...
मैं अपनों के संग रहकर भी ,
खुद से अनजान रहा ।
एक घर में परिवार संग रहकर भी ,
यह दिल, नाजाने क्यों वीरान रहा ?
यूँ तो दूसरों के सवालों का ;
हर जवाब, मेरे पास अक्सर होता था !
पर इस सवाल से नाजाने ;
में बिना किसी जवाब के ,
बस परेशान ही क्यों रहा ।
अपनों संग रहकर भी ,
मैं खुद से नाजाने क्यों अनजान रहा ?
एक घर में परिवार संग रहकर भी ,
दिल नाजाने क्यों वीरान रहा ?
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दीदार ...
हुस्न के उसके दीदार में ,
कहूँ तो भी क्या कहूँ ?
उसके जिस्म की तारीफ़ करूं ;
या उसकी रूह की इबादत में ,
मैं कुछ कहूँ ।
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अगर खुदगर्ज़ कहे ज़माना ,
तो भी अब गम नहीं ।
औरों की खुशी के खातिर ,
क्या खुद की खुशी को भूल जाएं हम ?
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अकेले ही आएँ हैं , अकेले ही जाना है।
दो पल की है बस यह ज़िंदगी !
क्यों किसी और कि तलाश में,
इसे युहीं गुज़ारे हम ?
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अकेले ही आएँ हैं , अकेले ही जाना है।
दो पल की है बस यह ज़िंदगी !
क्यों किसी और कि तलाश में,
फिर इसे गुज़ारे हम ?
अगर खुदगर्ज़ कहे ज़माना ,
तो भी अब गम नहीं !
क्यों औरों को खुश करने खातिर ,
खुद की खुशी को भूल जाएं हम ?
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रिश्तों की डोर से खुद को यूं भी न बांधो ;
के खुद का गला ही, तुम घोट लो ।
रिश्ते अगर टूटे, तो उन्हें टूटने दो !
मगर, खुद की खुशी को ही ,
तुम, हर बार चुनो ।।
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Life and sky are very similar ;
Both are canvas on which time paints different pictures .
Since every picture has it's story , so why not enjoy the different pictures , i.e, the different phases which life shows us ?-
आसमान
मैंने आसमान में ,
चाँद और सितारों को देखा है ।
मैंने आसमान में ,
टूटते तारों को देखा है ।
कभी आसमान को ,
चाँद और सितारों से भरा हुआ !
कभी सिर्फ चाँद को ,
कभी खाली आसमान देखा है ।
मगर, जब भी देखा है आसमान को ,
एक खूबसूरत नज़ारा, मैंने हर बार देखा है ।
मैंने आसमान में ,
चाँद और सितारों को देखा है ।।
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हर हार में छिपी, कोई न कोई सीख ;
ज़रूर होती है!
जो इस सीख को समझ सके,
उसकी जिंदगी में जीत;
ज़रूर होती है।
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