ज़रा सम्हल कर गुज़रना इस दौर-ए-इश्क़ की राहों से,लोग यहाँ एक हाथ मे दिल और एक मे खंज़र लिए घूमतें हैं ! - आयत 🖊Abhishek
ज़रा सम्हल कर गुज़रना इस दौर-ए-इश्क़ की राहों से,लोग यहाँ एक हाथ मे दिल और एक मे खंज़र लिए घूमतें हैं !
- आयत 🖊Abhishek