5 NOV 2017 AT 13:58

ज़रा सम्हल कर गुज़रना इस दौर-ए-इश्क़ की राहों से,
लोग यहाँ एक हाथ मे दिल और एक मे खंज़र लिए घूमतें हैं !

- आयत 🖊Abhishek