Abhish Kumar Yadav   (abhishcanwrite)
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Banker and insignificant person
Joined 22 April 2017


Banker and insignificant person
Joined 22 April 2017
12 APR 2022 AT 19:02

I hope i become nothing soon.
I hope i become absent
I hope i die and no one care.






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1 FEB 2022 AT 8:25

You cannot change decision who has lost interest in you.
You can try ,you can wait , but nothing's gonna change
It's not upto you
It's upto them
And decison has been made.










— % &

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12 JUL 2021 AT 23:27

Mornings haven't changed
Still feel the aching heart
and can't stop flashes of togetherness.
Wish it would stop
I watch comedy take mind off,
but it works till it's been watched
Sometimes it stops working while watching..
Thoughts are too strong
I can't fight it
I am afraid that years have gone, it's the same horror
Will it ever go or I will bury same as it has been for years?
EMPTY.

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10 JUL 2021 AT 12:29

क्यों रुका हूं तेरे सवाल के लिए
क्यों रुका हूं तुझे जवाब देने के लिए
क्यों तेरी सहमती से फर्क है पड़ता
क्यों तुझे मेरी बेबसी पे आती नहीं दया
ये चक्र तेरा ही चलाया हैं हुआ
क्यों मुझे फसाया हैं यहां
मृत लोक पे सज़ा काफी थी नहीं
की अकेला छोड़ कर, हस रहा खड़ा यहां
जाने दे रोक मत
अच्छा है पीछा तो छूटा
पर अब जाऊं कहा, रास्ते एक से लगते हैं
ये ढलान इतनी गहरी नही की मौत बांध दे संग मेरे
आसाम प्यासा मरने नहीं देता
ये भूमि भूखा रहने नहीं देती
सब दिया है,सिवाय मोक्ष
खड़ा दूर दो गज, हस्ता है देख मेरी दशा
मैं नहीं मानता भगवान है यहां
पत्थर पर विश्वास नहीं
मन्दिर बस छत है, बारिश में सर छुपाने का ||

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22 SEP 2020 AT 6:00

उसने वफाई की दुहाई दी और फोन काट दिया
फिर क्यों बेवाफाई के वक़्त घंटो बात की ।।

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13 SEP 2020 AT 10:54

वह इंसान ही मिट सा गया है
जो हर दिन लड़ रहा है
कभी बच्चो के दाखले के लिए
कभी नौकरी की तलाश में
कभी सच्चा प्यार पाने में
कभी प्यार पा के उसे खो देने में
तत्पर कठिनाइयो में जीना ही ज़िन्दगी बन गया है
देखा जाए तो चैन की सासें कम है
और मस्किले हमारा साया,
साया साथ छोड़ती भी है तो अंधेरे में
जहां इंसान रहना नहीं चाहता
या सो के उसके गुजरने का इंत़ार करता है
सुकून के पल कम क्यों लिखे है कोई बताए
ये ज़िन्दगी गर मिल भी जाए तो क्या है।।

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13 SEP 2020 AT 2:12

सुलझे लोग पसन्द नहीं आते
लोगो का कमीनापन रास नहीं आता
हम उस कश्ती में सवार है
दूर तक साहिल नजर नहीं आता
पानी में कुद के मरू
या नाव में बैठे - बैठ भूक से,तप के धूप में
ये कैसी संकट की घड़ी है
जहा इंसान को इंसान समाज नहीं आता।।

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4 AUG 2020 AT 1:39

Tum baarish or main
Woh seher yaad ata hai
Jaha teeno mila karte the..
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15 MAR 2020 AT 12:55

The fact i hate is, now i relate with all the sad, dark quotes.




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16 FEB 2020 AT 22:46

थकान और नींद, दोनो सनी हुई है
पर खाली घर सोने नहीं देता
तुम आओ,सुकून से सपनों के शहर चलेंगे।।

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