अभिनय ठाकुर   (अभिनय ठाकुर)
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Insta Profile: alfaaaz_a_ishq
Facebook Profile: अभिनय ठाकुर
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Joined 12 August 2019


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वक़्त की पाबंदी हो तो हमें ख़्वाब-ए-इश्क़ दे जाना
जो न हो मुकम्मल मोहब्बत तो हमें गम-ए-समंदर दे जाना।
यूं तड़पा है दिल दीदार को तुम्हारे
हैं गवाह चाँद और तारे।
सपनों को सिंजो कर एक शहर बनाया था,
ख़्वाबों को तोड़ कर तूने एक दिल दफ़नाया था,
याद है न वो मंज़र जहां तू अकेला छोड़ के आया था,
इस दिल को तोड़ के तूने एक नया महबूब बनाया था।

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18 MAY 2023 AT 18:07

और क्या आख़िर ज़िंदगी तुझे चाहिए,
आरज़ू तेरी कल आग की थी आज पानी की है,

ये कहाँ की रीत है मुस्कुराए कोई, रोए कोई,
शायद ज़िंदगी की यही कहानी है।

क्यों ज़रूरी है किसी के पीछे-पीछे चलना,
जब सफ़र हमारा है तो साथ-साथ चलना गवारा क्यों नहीं।

कौन पहचानेगा तेरे ‘आभिनय’ को यहाँ,
इश्क़ को तो चाहिए नई मंज़िल यहाँ।

तराश के पत्थरों को भगवान बना लेंगे,
तोड़ के दिल उसे पत्थर बना लेंगे।

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15 NOV 2022 AT 19:50

ना जाने क्यों इस दुनिया में भरोसा किया
हाथ दिया थामने को, बाजू पूरी निगल बैठे,
रास्ता दिखाया आगे बढ़ने का,
तो हमारे ही रास्तों में कंकड़ बिछा बैठे,
देर भले ही हो उस रब के फ़ैसले में,मगर अंधेर नहीं,
ये तो दस्तूर है क़ुदरत का जो बोया है काटना भी होगा,
जैसे तड़पे हैं हम उतना तड़पना तुम्हें भी होगा।

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जो मैं आँख बनु तो तुम रोशनी बन जाना
जो मैं दिल बनु तो तुम धड़कन बन जाना
जो मैं तुम्हारा ख़्वाब देखूँ तो तुम मेरी हक़ीक़त बन जाना
जो मैं खो जाऊँ अंधेरों में तो तुम उजाला बन जाना
जो हो मुझे दुःख तो तुम मेरी ख़ुशी बन जाना
जो हो जाऊँ कभी अकेला तो तुम पास आ जाना
जो हो जाऊँ कभी दूर तुमसे तो तुम ज़िंदगी में ख़ुशी बन छा जाना
जो छूट जाऊँ कहीं पीछे तो तुम अपनी दोस्ती निभा जाना
यूँ अकेला छोड़ आगे न बढ़ जाना
साथी साथ निभाना, साथी साथ निभाना।

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लो आज पहली दफ़ा क़लम उठाई है,
एक कोरे कागज़ पे लिखी तन्हाई है,
भले ही आज तुम अनजान बन गए,
यूँ आज हमसे इतना बेईमान हो गए,
जो गई हो यूं छोड़ कर कभी भूला नहीं पाऊंगा,
आओ जो कभी लौट कर तो माफ़ करना फिर कभी अपना नहीं पाऊंगा।
जो सोचती हो कि कुछ कर नहीं पाऊंगा,
तो याद रखो तुम्हारा दिया हर ज़ख़्म तुम्हे लौटाऊंगा।

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13 JUL 2021 AT 14:12

यूँ तो हम तेरे दीदार को तरसते रह गए,
यूँ तो हम तेरे दीदार को तरसते रह गए,
इतना भी क्या हम तुम पे मरते रह गए,
भुला दिया ख़ुदको बस अब तेरी नज़रों में ख़ुदको खोजते रह गए।
न जाने इश्क़ हो या हो ज़िद, पर एहसास बहुत प्यारा है,
जो मैं हूँ समंदर तो तू मेरा किनारा है,
तेरे संग जो देखूँ दुनिया तो मानो क्या रंगीन नज़ारा है,
शायद इश्क़ है तुमसे इतना, जितना समंदर गहरा है,
शायद इश्क़ है तुमसे इतना, जितना समंदर गहरा है

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हमने उसे चाहा भी तो इतना कि वो सांसो से ज़रूरी हो गई,
न जाने गलती कहाँ हुई जो इतनी दूरी हो गई,
शायद दम घुटने लगा था उसका,
हमारा तो उसे छोड़ना मजबूरी हो गई।

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हाँ ज़िंदा हूँ मैं
वक़्त नहीं खुद के लिए पर
फिर भी जी रहा हूँ मैं
मन है थमने का, फिर भी चल रहा हूँ मैं
बाहर शोर है फिर भी अंदर सन्नाटा है
मगर ज़िंदा हूँ मैं
यूँ तो दोस्त बहुत हैं फिर भी राहों में अकेला हूँ
दिल में दर्द बहुत है फिर भी चेहरे पर मुस्कान है
माना कि मर्द हूँ फिर भी दर्द है
वजह न पूछो मुझमें भी बसता एक इंसान है
माना कि दिल में बहुत कुछ दफ़न है फिर भी ज़ुबान पे खामोशी है
लेकिन फिर भी ज़िंदा हूँ मैं।

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30 MAR 2021 AT 15:34

न जाने क्यों अक्सर तेरी यादों में इतना रोया करता हूँ,
न जाने क्यों अक्सर तेरी यादों में इतना रोया करता हूँ,
तेरे जाने के बाद भी तेरे लिए दुआ करता हूँ,
न जाने क्या कमी रह गई थी मेरे प्यार में, जो आज तुझे प्यार दिखने लगा है किसी गैर में। न जाने क्यों आज भी तेरी याद आती है शायद अभी भी तू मुझमें कहीं रहती है।शायद आज भी तू कहीं मुझमें रहती है।

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28 MAR 2021 AT 21:19

न जाने क्यों खुदा भी आज़मा रहा है,
न जाने क्यों खुदा भी आज़मा रहा है,
ये ग़मों का समंदर मेरे नाम कर रहा है,
भले ही हर गम मेरे नाम कर दे,
पर खुशियों का हर पल उसके नाम करदे।

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