दिल की हदों से, बेइंतेहा, बेशुमार किया था,
हाँ, मैने भी कभी टूटकर प्यार किया था!
ख्वाहिश थी उसके नाम के साथ मेरा नाम जुड़े,
कहीं भी चलूँ मैं, हर राह उसकी तरफ़ ही मुढ़े,
उसके साथ ही क़ामिल है ज़िंदगी, ये ऐतबार किया था!
अपने चाँद से चेहरे पे वो छोटी सी बिंदी लगाती थी,
थिरकती थी ख़ुशी जब भी वो मुस्कुराती थी,
उसकी एक झलक पे फ़िदा दिल को कई बार किया था!
उसके हाथों में मेरे नाम की मेंहदी रचती,
मैं बारात लेकर जाता, डोली उसकी सजती,
उसके साथ हर रस्मो रिवाज़ का,
मैंने अपने तसव्वुर में दीदार किया था!
हाल अपने दिल का मैं उसे समझाने जा रहा था,
प्यार कितना है, ये बतलाने जा रहा था,
सारी हिम्मत समेटकर मैंने,
खुद को इज़हार-ए-इश्क़ के लिए तैयार किया था!
एक रोज़, ख्वाहिशें सारी बिखर गयीं, हर एक ख़्वाब टूट गया,
मुझे ज़िंदा रखने वाले शख्स से, मेरा साथ छूट गया,
हारकर ज़िंदगी से अपनी उसने, खुद को मौत के घाट उतार लिया था!
आज भी अक्सर दिल की दीवारों पे, उसके नाम के मिलते हैं,
एक घर लिया है खयालों की बस्ती में, हम दोनों अब वहां रहते हैं,
उन्हीं टूटे ख़्वाबों को जोड़ रहा हूँ, जिन्हें किस्मत ने तार-तार किया था!
हाँ, मैने भी कभी टूटकर प्यार किया था!
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