अभिनंदन श्रीवास्तव   (अभिनंदन श्रीवास्तव)
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A Writer in Shadows
Joined 24 May 2020


A Writer in Shadows
Joined 24 May 2020

एक घर के लिए एक घर छोड़कर जाने का वक़्त आ गया,
कुछ ख्वाहिशों से मुँह मोड़कर जाने का वक़्त आ गया,

ये शहर छोड़कर जाने का वक़्त आ गया!

नयी कहानियों की भीड़ में से झाँकेंगे किस्से पुराने,
शायद अब कहीं नहीं मिलेंगे फ़िर ऐसे याराने,
नए मोड़ पर पुराने रास्ते पीछे छोड़कर जाने का वक़्त आ गया,
ये शहर छोड़कर जाने का वक़्त आ गया!

कुछ अजीब से सन्नाटे अब बातों में मिलेंगे,
जिनके साथ ढले दिन, वो शख्स अब यादों में मिलेंगे,
ना चाहते हुए भी ये सुकून छोड़कर जाने का वक़्त आ गया,
ये शहर छोड़कर जाने का वक़्त आ गया!

मेरे साथ जो तय किये वो मक़ाम याद रखना,
ज़िक्र भले मत करना, बस नाम याद रखना,
फ़िर मिलने के दिलासे से रिश्ता जोड़कर जाने का वक़्त आ गया,

ये शहर छोड़कर जाने का वक़्त आ गया!

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मैं आजकल महफ़िलों में पाया नहीं जाता,
कहीं खुद नहीं जाता, कहीं बुलाया नहीं जाता!

कोई थपकी दे तो ज़रा आँख लगे मेरी,
मुझसे अब खुद को सुलाया नहीं जाता!

एक दौर था जब रो लिया करता था किसी के सामने,
अब तो किसी को कुछ बताया नहीं जाता!

सहमी सहमी सी आती है अब चेहरे पे हँसी,
होंठों से मुस्कुराहटों का बोझ उठाया नहीं जाता!

उलझी हुयी पड़ी है एक कोने में ज़िंदगी,
देखता हूँ रोज़ मगर मुझसे सुलझाया नहीं जाता!

हज़ार कोशिशें भी किसी को सुकून ना दे सकीं,
बस इक यही मलाल दिल से भुलाया नहीं जाता!

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कि प्यार की इंतेहा क्या है!
आँखों से पढ़े कोई तो इल्म हो,
इस दिल पे लिखा क्या है!
ये वो इबारत है जो,
एहसासों की स्याही से लिखी जाती है,
चंद लफ़्ज़ों में कोई क्या बयां करे,
कि आखिर मोहब्बत क्या है!

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ज़िंदगी में तकलीफों का हिसाब ना होता,
अगर काँधे पर मेरे उनका हाथ ना होता,
एक हौसले के दम पे,
हर मुश्किल को मात दी है मैंने,
कब का तबाह हो गया होता,
अगर मेरा बाप ना होता!

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डरना चाहिए!
इस समय चक्र से डरना चाहिए!

आज अच्छा है, तो कल बदतर भी होगा,
जो है सब्र तो सब बेहतर भी होगा,
हर ऊँचाई का एक उतार भी होता है,
ये रख के ज़हन में कोई उड़ान भरना चाहिए!
डरना चाहिए! इस समय चक्र से डरना चाहिए!

सबके किये का हिसाब होता है, किसी के साथ दगा नहीं होता,
समय ना किसी का शत्रु होता है, ये किसी का सगा नहीं होता है,
इसके हर फैसले में, खुद को राजी करना चाहिए!
डरना चाहिए! इस समय चक्र से डरना चाहिए!

हर मंथन, हर चिंतन, इसके आगे घुटने टेकता है,
ये हमारा कल, आज और कल, सब ध्यान से देखता है,
ये जो बदले तो स्वयं को भी बदलना चाहिए!
डरना चाहिए! इस समय चक्र से डरना चाहिए!

ये कर्मों का महाताल है, ये भ्रमों का मायाजाल है,
तेरा तुझ तक लौट कर आएगा,
यहाँ पग-पग सोच समझ के धरना चाहिए!
डरना चाहिए!
इस समय चक्र से डरना चाहिए!

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मेरे साथ जो तय किये, वो सारे मुक़ाम याद रखना,
ज़िक्र भले मत करना, बस मेरा नाम याद रखना!

ज़िंदगी लेकर आएगी यूँ तो नये दिन-रात बहुत,
मेरे साथ जो गुज़री हैं, वो हर शाम याद रखना!

ना किस्सों में रहूँगा मैं, ना हिस्सों में रहूँगा मैं,
तुमसे जो की हैं मैंने, वो बातें तमाम याद रखना!

यूँ तो हक़दार बहुत हैं मेरी ज़िंदगी के ज़माने में,
दिल की वसीयत में मैंने लिखा है,
सबसे पहले तेरा नाम याद रखना!

ज़िक्र भले मत करना, बस मेरा नाम याद रखना!

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ऐ खुदा मेरे मेरे हिस्से में, चाहे हर पीर दे देना!
मगर अगले जनम मेरे हाथों में,
उसके नाम की लकीर दे देना!

जो बांध के रख दे हम दोनों को,
कि एक दूजे के होकर भी, एक ना हो पायें,
नसीब में मजबूरियों की ऐसी, ना कोई ज़ंजीर दे देना!

हर सुबह उसके दीदार से हो, हर रात उसकी बाहों में ढले,
हर दर्द, हर ख़ुशी, हर हालात में,
वो साथ हो मेरे, सामने हो मेरे,
मेरी तकदीर को भी ऐसी तकदीर दे देना!

उसके बिना होंठों पे हंसी हो नहीं सकती,
वो नहीं तो मुकम्मल जिंदगी हो नहीं सकती,
मेरे खुदा इस रांझे पे इतना करम करना,
चाहे सब ले लेना मेरा, बस मुझे मेरी हीर दे देना!

अगले जनम मेरे हाथो में, उसके नाम की लकीर दे देना!

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अधूरी है तेरे बिन मोहब्बत, एक बार मिलने आजा!
तू लेकर खुदा से इजाज़त, एक बार मिलने आजा!

मैंने होकर देख लिया सारी दुनिया का लेकिन,
मुझे सिर्फ तेरी है ज़रूरत, एक बार मिलने आजा!

ये ऑंखें मेरी तेरी एक झलक को तरस रही हैं,
साँसों को भी मिले राहत में, एक बार मिलने आजा!

कभी माँगी थी जो खुदा से, तेरे साथ जिंदगी की,
पूरी हो जाए हर वो मन्नत, एक बार मिलने आजा!

कोई है इस ज़हां में जो, तेरे इंतज़ार में जिंदा है,
तू उस ज़हां से लेकर मोहलत, एक बार मिलने आजा!

तू बस एक बार मिलने आ जा!

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कुछ देर मुझे अपने पास ठहर जाने दे,
बाँहों में भर ले मुझे और कहीं ना जाने दे!

एक अरसे से जो ठहरा हुआ है, दरिया एहसास का,
तेरे काँधे पे सर रखने दे और बह जाने दे!

ना उमर की फ़िक्र हो, ना वक़्त का ठिकाना हो,
बस हाथ थाम ले मेरा और जिंदगी गुजर जाने दे!

अपने ख़यालों में मेरी शख़्सियत को ठिकाना दे दे,
मुझे दिल में छिपा ले कहीं,
बस आँखों में नज़र आने दे!

बस यही ख्वाहिश दिल की, यही दुआ रब से है,
कि तेरे साथ जीने दे मुझे वरना मर जाने दे!

बाँहों में भर ले मुझे और कहीं ना जाने दे!

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इस शहर से आज मैं कुछ साथ लेके जा रहा हूँ,
चंद लम्हे, तेरा प्यार, एक याद साथ लेके जा रहा हूँ,
मैं तुझे अपने साथ लेके जा रहा हूँ!

तेरे पास अपना दिल रख के जा रहा हूँ,
ये मुलाक़ात, तेरी हर बात साथ लेके जा रहा हूँ,
मैं तुझे अपने साथ लेके जा रहा हूँ!

तेरे दिल में क़ैद कर जा रहा हूँ अपने एहसास सारे,
तेरे सारे जज़्बात साथ लेके जा रहा हूँ!
मैं तुझे अपने साथ लेके जा रहा हूँ!

अपने प्यार की धूप तेरे नाम कर दी है,
तेरी आँखों की हर बरसात लेके जा रहा हूँ!
मैं तुझे अपने साथ लेके जा रहा हूँ!

मेरा अक्स अब तेरे पास ही कहीं नजर आएगा,
तेरी परछाई मैं अपने साथ लेके जा रहा हूँ!
मैं तुझे अपने साथ लेके जा रहा हूँ!

मेरी उंगलियों से उलझी तेरी उंगलियों के बीच,
मेरी जिंदगी सिमट आई है,
तुमसे जो मिली है, ये सौगात लेके जा रहा हूँ,

मैं तुझे अपने साथ लेके जा रहा हूँ!

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