अब नहीं हो रहा मुझसे
कि अबकी बारी तुम्हारी है ¡!¡-
दिल टूट गया और तोड़ दिया
खुद को भी तन्हा कर लिया
उन्हे भी अकेला छोड़ दिया
मेरे इस गुनाह की कोई सजा हो तो बता दे रब्बा
बस सजा मौत से अब्बल होनी चाहिए
क्यूंकि जिंदा तो हूं
पर जीने की वजह ना रही और जीना भी छोड़ दिया!!!-
मैं ठहरा आवारा परिंदा
तुम्हे आशियाना न दे पाऊंगा
तुम वफा न करो हमसे!!
मैं ठहरा हुस्न का दीवाना
तुम्हे ही नूर बना लू अपना
तुम ये सहारा न करो हमसे!!!-
हो सके ऐसा तो
हर दुआ में मैं ये दुआ मांग आऊं
या तो यादाश्त भूल जाऊं
या फिर याद बन कर रह जाऊं
अब बस बहुत हुई झूठी मुस्कान
बस एक मौका दे दे खुदा
लिखा बदलने का
किस्मत मेरी एक बार और लिखूं "मैं"
और उसमे थोड़े खुशी के पल लिख आऊं!!!-
आखें थक ही नहीं रहीं थी
कभी इधर तकते,तो कभी उधर तकते
"महफिल-ए-हुस्न में"
थके-थके से पैर भी चलते जा रहे थे
ख्वाहिश इक छोटी लिए
"थोड़ा और थोड़ा और"-
अब मुझसे,
मेरे हालात ना पूछ "ए-जिंदगी"
गम तो बेहिसाब आए हीं
साथ-साथ नींदों का भी सौदा हो गया !!!-
एक हलचल सी होती हैं
मेरे सूनेपन में
एक आहट होती है हमेशा पास मेरे
मैं सबसे ज्यादा बेचैन होता हूं
जब खामोशी होती है साथ मेरे।।-
लो छोड़ दिया लिखना भी
अब मैं मेरे अंदर ही रहूंगा
ना गिले न शिकवे
ना गम ना खुशी कहना है किसी से
अब मैं खुद को समेटे रहूंगा ।।-