ताउम्र डर डर के जीता रहा वो इसी खयाल में
"चार लोग क्या कहेंगे"
और चार लोग जब आए तो चार शब्द कहते बने
"राम नाम सत्य है"-
किसी महंगे इत्र से भी ज्यादा महकता है,
वो मेहनत का पसीना जो उनके तन से टपकता है।
थक हार कर जब लथपथ होता है चेहरा धूल से,
सच कहूं तो वो सूरज से भी ज्यादा दमकता है।
हथेलियों में पड़ी गांठे उनकी मेहनत को बया करतीं है,
आंखों का नूर भी नगीना सा चमकता है।-
सारी उम्र आंखो में एक सपना याद रहा
सदियां बीत गई पर वो लम्हा याद रहा ।
न जाने क्या बात थी उस बचपन में
सारी जवानी भूल गए,
पर वह बचपन याद रहा ।
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ऐ जिन्दगी,
चाह नहीं मेरी की, पूरा पथ मैं जान सकूं।
दे प्रकाश इतना की , अगला हर कदम
मैं पहचान सकूं।
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नजरिया भी क्या खेल खिलाती है।
बंद घड़ी में भी दो बार सही समय दिखती है।-
माँ तेरे गोद सा कोई और जन्नत नहीं,
जीवन भर तू मेरे साथ रहे ....
इससे बड़ा कोई और मन्नत नहीं।
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किसी भी मुसीबत का सामना
इस प्रकार करो,
की मुसीबत स्वयं ही मुसीबत से निकलने के लिए आपसे रास्ता पूछने लगे।-
कैसे कह दूँ की मेरी मुश्किलों के सामने ,
मेरी हर दुआ हर पहल बेअसर हैं।
जब भी मैं रोया ,
मेरी माँ को खबर हो गया।
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अपने आप को इतना काबिल बनाओ
की तुम्हे हराने के लिए, कोशिश की नही...
बल्कि शाजिस की जरूरत पड़ जाये।-
अपनी किस्मत को कोसना बन्द कर ऐ मुसाफिर...
जो मिला है उसे ही सही तरीके से इस्तेमाल करना सीख।
कौन कहता है पानी को चालन में नही उठा सकते
बस उसके बर्फ बनने तक इंतेज़ार तो कर।-