बहुत ताजूब करता हूं ये सोच कर | जिन्की जड़ें भ्रष्टाचार, बटरिंग पर है और चप्पल उठाना वो सम्मान सोचते हैं, क्या वह भूल गए हैं की राजद से हिन अलविदा किया गया था कुछ बुरे करम करने पर वो भी गरम आग सुसाजीत हांथों का प्रसाद दे कर अलविदा कहा गया था और आज वही खरे है|
बोहोत आनंद आएगा वो दृश्य देखने मैं की किस के तलवे को चाटा जाएगा पलटू चाचा के या फिर जिनसे 18 साल पहले प्रसाद मिला था उनके |
बहुत अजीब समय है| पूजा पाठ अनिवर्य है|-
बिहार के परिचलन मैं बहुत ज्यादा सुधार हुआ,
उदाहरण के रूप में पटना एयरपोर्ट की पार्किंग उत्तर प्रदेश के बउआ सिंह अर अभिनव जी के पास आई।
बिहार मैं हो रहे बदला प्रगति की निशानी है। और हमारा बिहार समृद्धि होता जा रहा है। जय हिन्द जय बिहार।-
वक्त भी क्या हसीन सितम है,
दसरे को चमच बनाने वाला,
आज खुद गले मैं पट्टा बांध के जिभ निकल के बीख मांग रहा,
और जिन्की बड़ी आदत थी हांसी के फुवारे मार लेने की दसरों को बरबाद करके,
आज उनका घर बरबाद हो रहा और मजा पूरी दुनिया ले रही
करनी का भोग इसी जीवन मैं वपस करना होता है-
चप्पल उठने वाला इंसान खुद ये प्रमाण दे देता है उसका वजूद खतम हो गया तो पुछो कैसे जिस भी व्यक्तित्व के लिए उन जो भी पोस्ट दी गई थी उससे लाट मार के निकला दिया जाता है और फिर बस चप्पल उठने के काम से जाने जाते हैं,
आज के समय में कोई भी पोस्ट संदेश अर खास कर के फोटो गौर से देखने सच खुद बयान होता है।-
कल को चाय कप प्लेट और दसरे का जूठन उठने वाला आज चप्पल उठा रहा ये भी प्रमोशन है भैया। गजब की दुनिया अर उसके गजब खेल।
इतिहास हमेशा दोहराता है पिता के समय ठुक के चटना पड़ा था अभी भी बेटे का समय चल रहा क्या पीना होगा पता नहीं। अघोर कलयुग बाबा भोले आशीर्वाद देते रहे, कुकरमी का नाश होता रहे।-
अक्सर कलयुग में देखा गया है चप्पल उठाने वाला इंसान जिस अतर्वा आत्म का चप्पल धोता है, उसका नाम आधार कार्ड पे भी पिता स्वरूप लिखता है क्योंकि असल पिता को जहर वाली जिंदगी देता है वो लोग।
दूसरा चप्पल उठाने वाला इंसान हमेशा बिखरी बिखमंगा होता है के बार ये भी देखा गया है जिस घर में वो रहता है वो भी किसी के बीख पे बनी होती है, जिसका मासिक किस्त मैं पेआउट होता है,
हंसी आती है ये बात सोच कर अगर पुरा आधार राशि वापस ले लिया जाए तो दाल रोटी पर भी आफत है। और फिर दुनिया को बेवकूफ बनाना की हम धित्रस्त्र है एक समय पे खतम हो जाता है। संसार का नियम है जो बॉयोगे वही पाओगे|-
इंसान अक्सर वेहम पाल लेता है, की सर्वश्रेष्ठ मैं हूं। आज के समय मैं उसका भी निवारण है, सामान्य भाषा मैं पोटाश अगले का चेक कर लो। केई बार देखा गया है|
जिसे एक कॉल करके एडमिशन करवा दिया हो बड़े स्कूल मैं वही एक कॉल पे निकलवा भी देता है। वेहम मत पलिए की सबसे सर्वश्रेष्ठ हम हैं। केई धागेश्वर नागा शांति से बैठे हैं अगर फुंकरे वें निगल जाए संपोले को।-
लोग पुचा करते हैं बड़े स्कूल के पढ़ने के बावजूद रिजल्ट नहीं आता क्यों ?? उसका जवाब है घर पर क्या देखता है लोग अगर घर पर देखेंगे बाप चप्पल धो रहा है तो चप्पल ही धोना तलाशेंगे और चप्पल उठाएंगे फिर चाहेंगे स्कूल मेयो कॉलेज हो वेल्हम्स हो या दून हो या आरकेसी राजकोट हो.. बात वही है.
शेर का बेटा बब्बर शेर और चप्पल उठने वाले का चप्पल उठाने वाला कुटा हि होता है
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लंगे इंसान को कोई लंगा ही सुधरता है, अर तब जब वैसा इंसान प्रस्तुत हो तो तूरंत हांथ जोड़ने लेने चाहिए नहीं तो जो तुम्ने जो नीच ता दिखी होगी वही अगला उससे भी नीचे जा के दावा देने लगता है आपको।
समय का प्रकाश है पूजा पाठ अनिवर्य है-
सबसे ज्यादा जरूरी है अपने लिए आत्म सम्मान अगर वह पुरा ना हो तो एक व्यक्ति पूरी तरह से टूट जाता है आप के बोले दो अच्छे शब्द किसी को मुस्कुरा सकते हैं ये हमेश याद रखिए
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