ज़रूर उनको छूकर हवा चली है।
क्योंकि फिज़ा में तो बस उन्ही की चर्चा हो रही है।।-
यूंही नही ज़ुबान मेरी तेरा नाम लेती l
जरूर तूने ही मेरे दिल में घर कर लिया है ll
और नजाने कितने ही पल हमने सब्र से काटे हैं l
तेरी एक छुअन ने आज बेसब्र कर दिया है ll
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राम तपस्वी राम तेजस्वी और कृपालु जन हैं राम।
मर्यादा पुरुषोत्तम हैं वो जग मे प्यारे सबसे राम।।
जग के पालनहार वही हैं कौशल्या जने सबके राम।
सूर्यवंश के गौरव हैं वो दशरथ के नंदन है राम।।
सत्य आहिंसा नीति वीर वह रघु कुल दीपक राजा राम।
और प्रजा को सबसे प्यारे सब मे श्रेष्ट शाश्वत राम।।
निष्ठा अनुशासन प्रिय वह कड़े परिश्रमी योगी राम।
प्रेम की धारा बहती जिसमे है ऐसे जितक्रोधी राम।।
सर्वगुण सम्पन्न सदैव ही जनक नंदनी सिया के राम।
गृहत्यागी बन चले विपिन मे कैकयी के अज्ञाकारी राम।।
सदाचार व कृतज्ञ हमेशा हैं सर्वोत्तम सबमे राम।
परम कृपालु परम पूज्य वह जग में सर्वतीर्थमय राम।।-
मुहब्बत की तपिश ऐसी की सब कुछ राख कर डाला।
जला कर वो गया था खुद को मैने खाक कर डाला।।-
यूं तेरा हमसे मूंह फेर लेना ना काफ़ी।
सनम चाहो तो खुद ही खंजर से मारो।।
तड़पते हुए को क्यों तड़पा रहे हो।
तड़प की तपिश को बस पल में मिटा दो।।-
तस्वीर तेरी देखा करे हैं।
तुझीसे मोहब्बत हम बस करे हैं।।
है काफ़ी नहीं अब तेरा दूर रहना।
जाने दूर कितने सितम हम सहें हैं।।-
बेधड़क जिंदगी की वो शामें थी सहीं
जिनमे साथ मेरे था तू कहीं अनकहीं
बिन देखे तुझे रातें कटती ना थी
बिन तेरे ये सुबह मेरी होती ना थी
चाहतों में तेरे खुदको भूला यूंही
नींद आंखों में कम ज्यादा तू थी बसी
जो चला था सफर वो सफर था सही
जो तू संग नही तो सफर भी नही
आज भी जब भी शामों में आए तू नजर
बाहों में भर के कसने को चाहूं इस कदर
बंद आंखों से आंसू बहे तो सही
तेरी यादों में तन्हा न रहना अब सही
गुजारें हैं ये पल बिन तेरे इस कदर
राख की तरह हूं मैं जला हर पहर
टूट जाने को फिर से खड़ा आज भी
तू आके फिर से मुझको छोड़ जाए तो सही-
ये तेरी अदायें है जो कुछ कर रहीं हैं ।
यूंही तो नहीं हममें छाया नशा है ।।
यूं पलछिन तुम्हारी ही चाहत है अब तो ।
सनम दूर रहना भी अब इंतहान है ।।
ये ख़्वाबों में तेरा नज़र ऐसे आना ।
क्या इसमें भी कोई तिलिस्म तेरा है ।।
है जो भी था दिल में बयान कर चुके हैं ।
न अब इसमें तुमसे कोई राज़ छिपा है ।।
है ख्वाइश की तुम्ही हो मेरे सफर में ।
सफर अब अधूरा तेरे बिन मेरा है ।।
समझ लेना खुद अब न फिर से कहेंगे ।
ये दिल जो था मेरा अब तेरा हुआ है ।।
तू जन्नत मैं चाहत में तेरे यहां हूं ।
तू बारिश मैं तुझमें सिमटने खड़ा हूं ।।
जहां से तू गुज़रे गुज़रना मुनासिब ।
मेरे दिल को छू लेना ये तेरी अदा है ।।-
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें इंसान का सारथी हो
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमें इंसान ना सर्वार्थि हो
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें इंसान ना रोया हो
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमें स्वाभिमान ना खोया हो
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें ना स्वमं का लहू बहे
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमें इंसान ना दर्द सहे
वो काम भला क्या काम हुआ
जो झुक झुक के सब करते हो
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जो छुप छुप के सब करते हो
वो काम भला क्या काम हुआ
जिसमें इंसान ही थक जाए
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ
जिसमें हर पल ही शक जाए-
यूँही ख्वाबों मे तुम मेरे आते नहीं ।
यूँही आकर मुझे यूँ सताते नहीं ।।
चाहते अब भी होंगी उधर इस कदर।
यूँही बंद आँखों मे तुम समाते नहीं ।।
आती जब भी नींद है मुझको बस एक पल।
उस ही पल मे तुम्हारा भी आना वहीं ।।
ढूँढता फिर रहूँ तुमको हर पल मे यूँ ।
तुम्हारा यूँ गुम हो जाना नही है सही ।।
हालात उधर भी कुछ ऐसे हीं हैं....
कुछ अधूरे से पल तेरे गुज़रे हैं यूँ ।।
चाहते मेरी तुममे है बढ़ने लगी ।।
खुदकी तन्हाइयों मे मुझे ढूंढते ।
आ ही जाते हो तुम मेरे पल मे यूँहीं ।।
जिंदा रह कर भी जीना था सीखा जहाँ ।
उस ही पल मे भी जीना हो चाहते अभी ।।
खुद से दूर मुझको रखते हो क्यों इस कदर ।
बिन मेरे तुम धड़कना तक जानते नहीं।।-