Abhinav त्रिPATHI   (अभिनव)
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Joined 27 April 2020


Joined 27 April 2020

I belong to no religion my religion is love every heart is my temple.!!

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प्रेम इतना पवित्र होना चाहिए

अगर मैं बेचैन रहूं तो चैन तुम्हें भी नहीं आना चाहिए ❤️

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लॉयल्टी जैसा कुछ नहीं होता है

पार्थ option अधिक मिलने

पर कपड़े पसंद करना भी

मुश्किल हो जाता है...!!

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ये जो खो कर बैठो हो मुझे  किसी के लिए ,


वो भी तुम्हारा न हुआ तो फिर क्या करोगे ...✍️♥️

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मैं सब लेकर आऊंगा
प्रेम, समर्पण, सहनशीलता, धैर्य,


मर्यादा,विवेक,तुम मेरी  नौकरी नहीं,
मेरा हृदय देखना...!

😊💯

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मै उसको चाँद कह दू ये मुमकिन तो है,
मगर... लोग उसे रात भर देखें ये मुझे गवारा नहीं…..!!!

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रूह के आत्मसम्मान पर था प्रहार तुम्हारा

तुम्हें त्यागने का परम कर्तव्य हो गया था फिर हमारा...😌

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प्रेम के चक्रव्यूह को तोड़ना जानती थी वो,
मैं अभिमन्यु था, मोहब्बत में ही मारा गया।

हर सवाल के पीछे एक चाल छुपी थी उसकी,
मैं सच समझ बैठा, और हर बार हारा गया।

वो मुस्कराकर देती रही इल्ज़ाम मुझ पर,
मैं चुप रहा, क्योंकि दिल से गुज़ारा गया।

हर कदम पर वो क़दम पीछे खींचती रही,
मैं उसकी राहों में फूल बन बिछाया गया।

जिसे समझा था रब से बढ़कर अपना,
उसी की बातों में हर रोज़ पुकारा गया।

अब शिकवा नहीं है उसकी बेवफ़ाई से,
मगर प्यार में सच होकर भी मैं ही दुत्कारा गया।
✍✍

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सौदा हमारा
कभी बाज़ार तक नही पहुंचा..!!
इश्क था जो
कभी इज़हार तक नही पहुंचा...!!

यूँ तो गुफ्तगू
बहुत हुई उनसे मेरी...!!
सिलसिला कभी
ये प्यार तक नही पहुंचा...!!

जाने कैसे
वाकिफ़ हो गया तमाम शहर...!!
दास्तान-ए-इश्क
वैसे अखबार तक नही पहुंचा...!

शर्ते एक दूसरे
की मंजूर थी यूँ तो...!!
पर सौदा
हमारा कभी करार तक नही पहुंचा...!!

गहराई दोस्ती की
हम नापते भी कैसे...!!
रिश्ता हमारा
कभी तकरार तक नही पहुंचा...!!

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खुमार मुहब्बत का उतर जाता तो अच्छा था
सर से ये तूफ़ान गुज़र जाता तो अच्छा था।

माना के तू आसमां और हम जमीं हैं मगर
जमीं को आसमां गले लगाता तो अच्छा था।

हमें खबर है कि तू बना कैसे अमीरे-शहर
लेकिन वो रास्ता न अपनाता तो अच्छा था।

दम तोड़ रहे कितने मुफ़लिस निवालों के बिना
लीडर को गर ख़्याल आ जाता तो अच्छा था।

खाम खा दरिया-ए-आब़ को बना दिया शराब
काश हुस्न दरिया में न नहाता तो अच्छा था।

जगमगाता तेरा महल रौशनी में नहाये
इक दिया झोपड़ी में जल जाता तो अच्छा था।

युवा आज का बरबाद बद अख़लाक़ न होता गर
मगरिबी हवाओं से बच जाता तो अच्छा था।

न भटकता इश्क ज़ख़्मी आवारा सहरा में
इश्क अगर रूह में उतर जाता तो अच्छा था।

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