यूँ तो हासिल क्या न रहा,पर उनका कोई हासिल न रहा,क्या
दिखाएं ज़ख्म-ए-जफ़ा, मैं मकतूल रहा कोई कातिल न रहा....
मशरूब-ए-महबूब इन आँखों तक उतरे, इस दिल तक तो नही,
मैं महफ़िल में ज़रूर रहा, पर उसमे कोई शामिल न रहा....
इस पार का समंदर हो या उस पार का समंदर,
मिरे सफीने के मुकद्दर सैलाब ही रहें, कोई साहिल न रहा...
ये गम नही की जमीं के खुदा रहें मुझसे खफा-खफा,
पर ऐ अहल-ए-खुदा तू भी तो मुझपे कोई नाज़िल न रहा...-
व्यथा को गया भूल; मैं,
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मज़हबपरस्ती के साये में सेकुलरिज्म का कारोबार राहत कैसे चलाते हैं,
वो हँस कर बोलें तुम मुर्दो को जलाते हो, हम ज़िंदा जलाते हैं-
बुझा कर घरों के
चिराग-ए-रोशन,
सियासत का दावा है
कि बिजली मुफ्त है..-
तेरी चाहत की औ क्या तशरीह करूँ
कि दिल खुले तो तू ही तू हर तह मिले
यूँ तो बेपरवाह है ये इश्क़ मेरा, जो
तेरी रजा मिले तो थोड़ी औ शह मिले
जीने की हमें और क्या व-जह मिले,
जो तेरी बाहों में कुछ देर ज-गह मिले,
कितनी ही रातें गुजरी हिज़्र के हक़ में
की तू मिले तो शब-ए-वस्ल को मह मिले
ढूंढता रहता हूँ वो अल्फ़ाज़ मैं जो ब
-याँ कर सके जो तेरी आँखे कह मिले
घूमता रहता हूँ मैं वहाँ वहाँ तेरे
निशाँ जहाँ जिधर मुझे रह मिले
वो मिली नही फिर घुली क्यूँ यूँ मुझमें
की मैं खुद को ढूँढू तो, तो भी वह मिले
- अनिकुल के कलम से✍🏼✍🏼-
"किस कदर बे - अक्ल हुए जाते हैं लोग
बिन कातिल ही कत्ल हुए जाते हैं लोग
हर मुखौटा ही मुक़म्मल हुआ जाता है
इस कदर बे - शक्ल हुए जाते हैं लोग"
- अनिकुल के कलम से✍️
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"न्याय याचना की वस्तु नही,
मनुज का सहज अधिकार हो,
न दे सके मनुज को सहजता भी,
उस समाज को धिक्कार हो"
- अनिकुल ✍️
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Mothers are invariably the best teachers. This overlapping of roles is so obvious and natural. But there are only few teachers who could transcend the extra-terrestrial mile of being a mother figure in one's life !! You are one of them. Happy teacher's day mam !!
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कल्पना की ईंटों से सच की इमारत बनाना है कविता,
शांत शब्दो से मौन को मुखर कर जाना है कविता..-