Abhinav Gupta   (Abhinav Gupta)
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Joined 29 September 2017


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Joined 29 September 2017
7 JUN AT 14:18

तुम नाराज , मत होना ! जाना
मै ले जाऊंगा तुम्हे तुम्हारे शहर के बाजारों में
जहां झुमके तुम्हारी पसंद के मिलते है.....

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29 MAY AT 11:09

क्या आपको मालूम है
जब जब याद करते हो आप हमे
आपकी खबर लेकर
हिचकी चली आती है मेरे पास

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28 MAY AT 14:35

एक ये डर है कि कोई ज़ख्म न देख ले मेरे,
एक ये ख़्वाहिश है कि कोई देखने वाला होता...

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28 MAY AT 14:33

और फिर जिन्हें कभी किसी से प्रेम नहीं मिला
वो खुद प्रेम की एक अविरल धारा बन गए
ताकि कोई और उन जैसा कष्ट न भोगे

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28 MAY AT 14:31

प्रेम ओर परिवार त्यागने का सामर्थ्य केवल, स्त्रियों में हैं।
शायद इसलिए स्त्रियां सुसराल जाती है, पुरुष नहीं

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28 MAY AT 0:22

किसी भी प्रकार का समाज प्रेम का विरोधी नहीं है
समाज बस चाहता है की प्रताड़ित करने वाला अपने समाज का हों

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28 MAY AT 0:18

जिस पिता , परिवार ओर समाज का बहाना बनाकर स्त्रियां छोड़ कर चली जाती है
असल में उस पिता , परिवार और समाज को खबर ही नही होती हमारे रिश्ते की

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28 MAY AT 0:14

और अंत में , मैं वही लड़का बन गया
जिसकी संगत में रहकर, लड़के बिगड़ जाते है

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27 MAY AT 19:36

जो आज मौन है ,
वे चिल्ला चुके है ;

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25 MAY AT 22:57

आलिंगन
( शेष - अनुशीर्षक )

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