Abhinav Gupta   (Abhinav Gupta)
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Joined 29 September 2017


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Joined 29 September 2017
YESTERDAY AT 0:48

जिंदगी का एक और साल कम होने की बधाई गुप्ता जी

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14 AUG AT 3:18

मेरे दामन में कभी कांटे ही कांटे हुआ करते थे जाना
आज मेरे बगीचे में फूलों के सिवा कुछ भी नहीं
लोगों ने तो काम भी बांट रखे है फूलों के
मुझे तो गजरे में संजोना है कुछ फूलों को बस

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14 AUG AT 3:11

कैसे कहूं जो छुपा हुआ है दिल में
कही दोस्ती भी खो न दूं जो छिपी है दिल में
आप कहते है दोस्ती में तकल्लुफ कैसा
कैसे न रखूं दोस्ती का भरम

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7 JUN AT 14:18

तुम नाराज , मत होना ! जाना
मै ले जाऊंगा तुम्हे तुम्हारे शहर के बाजारों में
जहां झुमके तुम्हारी पसंद के मिलते है.....

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29 MAY AT 11:09

क्या आपको मालूम है
जब जब याद करते हो आप हमे
आपकी खबर लेकर
हिचकी चली आती है मेरे पास

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28 MAY AT 14:35

एक ये डर है कि कोई ज़ख्म न देख ले मेरे,
एक ये ख़्वाहिश है कि कोई देखने वाला होता...

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28 MAY AT 14:33

और फिर जिन्हें कभी किसी से प्रेम नहीं मिला
वो खुद प्रेम की एक अविरल धारा बन गए
ताकि कोई और उन जैसा कष्ट न भोगे

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28 MAY AT 14:31

प्रेम ओर परिवार त्यागने का सामर्थ्य केवल, स्त्रियों में हैं।
शायद इसलिए स्त्रियां सुसराल जाती है, पुरुष नहीं

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28 MAY AT 0:22

किसी भी प्रकार का समाज प्रेम का विरोधी नहीं है
समाज बस चाहता है की प्रताड़ित करने वाला अपने समाज का हों

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28 MAY AT 0:18

जिस पिता , परिवार ओर समाज का बहाना बनाकर स्त्रियां छोड़ कर चली जाती है
असल में उस पिता , परिवार और समाज को खबर ही नही होती हमारे रिश्ते की

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