Abhinav Gupta   (AbHiनव)
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खरा सायर।

OpEn SenTiMEnT.

Edu. :- MBA🎩
Joined 9 January 2020


खरा सायर।

OpEn SenTiMEnT.

Edu. :- MBA🎩
Joined 9 January 2020
19 AUG 2023 AT 23:17

की अब न जाने क्यों,,
कटती नहीं सजा मेरी...

है आ लगी बदुआ, मेरे अंजान गुनाहों की,,

दर्द बढ़ रहा है लम्हा लम्हा
ज़ख्म सूखने के साथ साथ।।
......................................................

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13 JAN 2023 AT 2:45

chANGe will chANGe everyTHing if nOt chANGed on TIME.

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14 AUG 2022 AT 9:35

हाय! ये पैसे का सितम अब सहा नही जाता मुझसे,,,
कि अब तक,,,,
कि अब तक,,,
मन की परेसानियों को साझा कर लेते थे साथ बैठ #yourquote के बंद कमरे मे अक्सर.....

#पर_हाय!
हाय! पर ये पैसे का सितम,,,,,
अब तो हमारे अल्फाजो को व्या करने का भी #chArgE लगा है हमपर
कि गिनती का मिला है समय मुझको,,,,
करने साझा मेरे दिली जस्बात उस संग( #yourquote) ......।

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2 JUL 2022 AT 17:19

पता है तुझे,,,,
कल तू कुछ करेगा नही...
और आज तू कर पएगा नहीं।।

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15 JUN 2022 AT 4:13

रैना बीती जाए रे,,,
तड़पे मेरे नैना,,,,
जिन देखे मनबा मर्ज़ाबे.....
उन संग बीती रैना।।

का हमसफर होबे रे यात्री को
आज समझ मे आयो है,,,,

एक साथ यात्री के मन को जालबै
एक साथ यात्री को पार उतारें।।

#हरिद्वार_यात्रा

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29 MAY 2022 AT 8:31

#Thought_of_the_day



#तलाश तो थी "मुस्कान" की,,,
आ मिली कोई #थकान सी।।

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27 MAY 2022 AT 20:23

वो किसी और से बोले तो मर-सा जाता हू
तड़पता हू पर कुछ कर न पाता हूँ,,,
डरता भी हू कि कही खो न दू उसको...
फिर मन-ही-मन "मन" को समझता हू
टूट सा जाता हू और चुप कर जाता हू।।

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26 MAY 2022 AT 1:33

#तलभ इतनी कि जमाने से लड़ जाऊ,,,
पा लू उसे या फिर जिद मे ही मर जाऊ....

#छमता इतनी कि सामने आ जाय वो
तो इक शब्द भी जुबा से ना कह पाउ,,,,,

#जलन इतनी कि कोई देख भी ले गर उसे
तो इक पल भी चैन से न रह पाउ,,,,,

#मोहब्बत इतनी कि वो चाहे भी कुछ
तो बिन दिये भी ना रह पाउ,,,,,,

#मेरी_आशिक़ी भी ऐसी कि
मेरे मेहबूब को उसके मेहबूब से मिलाउ....
लड़ जाऊ सारे जमाने से अकेला
फिर चाहे मै मर ही क्यों न जाऊ।।

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24 MAY 2022 AT 21:01

#तलभ--:YE जो तुम हो ना...


पा लू गर तुझको तो मै पाक हो जाऊ....

पा लू गर तुझको,,,
तो मै पाक हो जाऊ....
और जो
ना पा सका,,,

तो खुदा कसम वही ख़ाख हो जाऊ ।।

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23 MAY 2022 AT 11:39

फिर तलाश है मुझे किसी नए परिंदे की,,,,
हाय! ये बागी मन मेरा...
एक जगह ठहरता ही कहा है।।

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