अब कही मन नहीं लगता है, जाऊ कही भी इस जहां में, बस तेरा चेहरा ही दिखता है।
नींद नहीं आती है मुझे, ना दिन में , ना रात में, करवट बदलता रहता हूं हर पल, दिन और रात बेचैनी में गुजरता है।
अब तो इच्छा ही नहीं होती घर से जाने की, बाहर जी काटने को दौड़ता है, घर में घुसते ही जाती है तुझपे नज़र, ऐ मेरे बिस्तर, एक अच्छी नींद का सुकून मिलता है।