25th birthday
Hope I can do something good for the people who love me and they can love me as they are loving me right now 💖
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The best part of writing something that you can express what is inexpressib... read more
कैसे रहूँ अब इंसान मैं
हारा हुआ और रहता परेशान मैं
दिया दूसरे को खुद से ज्यादा
किसी का नहीं था मुझे अपना बनाने का इरादा
ना दोस्त मिला, ना यार मिला
ना प्यार मिला, ना दुलार मिला
नहीं पता गलत हूँ मैं, या हूँ सही
फिर कैसे मिलते लोगों को उनके ख्वाब सभी-
ना जाने कितनी बेचैनी इस शहर में समाया है आज
फिर भी कैसे चैन की नींद सोया है ये आज ?
पर क्या ही जाने ये समाज मेरा
फिर से ईश्वर को खोया है ये आज ।।-
नए ख्वाब थे , पुराने की ही तरह
मिल ना पाए तुम उसी अनजाने की तरह
सपने जैसे तुम और उसको ये चाहे दिल
जब मालूम है मुझे कोई सपने नही है मेरे
ना जानें क्यों देख लेता हूं सपने तेरे
जब टूटे तो टूटे थे कई बार ये सपने मेरे
ये दिल करता है ढेरों सवाल मुझसे
कैसे बताऊं उसे की वो अपने नही है मेरे
अब शिकायते भी क्या करूं खुद से
जब सपने ही अपने नही है मेरे ।।-
खुबसूरत आंखों से दर्पण में खुद को टटोलती वो
कभी अपने लंबे बालों को खोल कर कभी बांधती वो
दर्पण में खुद को आजाद देखती है वो
शायद समाज की खींची लकीरों से पहली बार निकलती वो
ना जाने खुद में क्या देखती वो
मानो जैसे खुद में ही पुरा जवाना देखती हो
महसूस कर पाए कोई उसकी खूबसूरती को
शायद कोई ऐसा दीवाना देखती वो ।।
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बेशक लाख कमियां हो मुझमें
सुधारने की कोशिश ना करू तो बताओ
चाहने वाले तो मिल जाएंगे आपको कई
कोई दुआओं में मांगता हो तो बताओ
तुम नहीं तो चांद से ही बातें कर लेता हूं मैं
थोड़ी सिफारिशें और शिकायतें कर देता हूं मैं
तुम नहीं तो आपके ख्यालों में ही रह लेता हु मैं
ना चाहते हुए भी खुद को तकलीफ देता हूं मैं
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फिर से शाम होने आई हैं
साथ अपने कुछ तो लाई है
जीवन नहीं हैं एक सब के लिए
सब के लिए अलग गीत लाई है
कर्म किया जिसने सच्चाई से
उसके लिए तो सिर्फ सुकून लाई है
वो देखो परिंदे भी लौट आए हैं
मिलने को अपनों से शायद थोड़े उकताए हैं
जो ना कर पाए अपना कर्म अगर
तो निश्चय ही अंधियारी छाई है
ख़ुद के मन से ठान लिया हो युद्ध अगर
खुद से युद्ध में कहां किसी ने जीत पाई हैं।
नया सवेरा फिर से एक मौका लाई है
उम्मीदों की किरणे फिर से साथ लाई है ।।
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आंखों में ना जाने सवाल कई
पर खुद में समेटे जवाब सभी
चंचल मन की सागर आप
हो सागर से भी गहरी आप
कभी शांत तो कभी उग्र
उन सागर की लहरों सी आप
साहिल क्या ही जान पाए जज़्बात सभी
तो भला डर कर क्यों ठहरी है आप ?
हां सागर से भी गहरी आप
सागर से भी गहरी आप ।।
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ना जाने कितनों को भाता है
आपकी बस एक दीदार से
चांद भी खुश हो जाता है
मन के सोए ख्वाब निराले
फिर जुगनू की तरह टिमटिमाता है
चंचल मन की सागर आप
दिलो में प्यार के गीत ये गाता है ।-
जब जब पुकारे ये मिट्ठी तुझे
तो वतन की मिट्ठी पर मिट जाना
हो इरादा मजबूत इतना,चट्टाने भी थम ना सके
सरफरोशी की तमन्ना दिलो से तुम्हारे कम ना सके
बस तिरंगे की बढ़ती अब मान रहे
इससे बड़ी क्या सम्मान रहे
हां अमरो में मेरा भी नाम रहे
कायम भारत का स्वाभिमान रहें
दिलो में सबके प्यार रहे
भारत हमारा गुलज़ार रहे ।-