Abhinav anil   (ABHINAV ANIL)
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Joined 3 April 2018


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Joined 3 April 2018
5 AUG 2024 AT 22:01

days are gone,
which soothed
me,my soul.

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4 JUL 2024 AT 0:29

ये बताने जताने में,
बनता बिगड़ता है,
रोज़ समय जाता है,
और सूरज ढलता है,
कोई बात है मुताबिक,
मगर कहनी नहीं चाहिए,
आग तो बुझानी है,
लगानी नहीं चाहिए,
कितने को समेंटू मैं,
कितनो को जाने दू,
रोज़ बट जाते जाते हैं हिस्सो में,
एक अरसा लगता है उम्मीद जगाने में,
(in caption )

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24 JUN 2024 AT 23:20

its raining she said
we're dancing
on the terrace

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21 JUN 2024 AT 12:36

You can listen as well as sing when in mood.



Listen only, can't sing back same.



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20 JUN 2024 AT 22:44

When you know
It just a game
& lot of money But you can DIE

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20 JUN 2024 AT 0:31


D.Pradhan
First said- No mistakes, All ok.
Secondly said - only 2 mistakes, All ok.

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17 JUN 2024 AT 19:29

हर रोज़ मेैं कुछ पुराना सा हो जाता हुँ नए लोगो को देख कर...
और कुछ नया सा लगता है अभी भी पुराने लोगो को देख कर...
और इन बाहरी नये पुराने विचारो के मध्यस्थ में रहता है...
एक मासूम बच्चा जो नहीं चाहता है बदलना एक कण मात्र भी...

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17 JUN 2024 AT 1:32

Mujhe toh yaad hai wo guftgu jo kabhi ho n paai,
Kya tha jo dikha tha aankho ko phir nazar dekh n paai,
Ye kaisi uljhane thi jo uljhati he gayi,
Wo jo kahani puri likhi jani thi, wo toh adhuri he reh gayi ll

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14 JUN 2024 AT 23:20

कहीं बार मुझे लगता है, एक स्त्री पर स्त्री बनने का दबाव बहुत है, ये जो आदर्श स्त्रीयां दिखायी जाती है परदे पर इनसे हमारे समाज ने बहुत सीखा है कि कैसे एक स्त्री पर जो मां है उस पर आदर्श मां होने का भार है, मां को ऐसा दिखाया गया है कि वो देवी है वो अपने बच्चों के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, न कि एक इंसान है जिसकी इच्छाँये है, अपनी क्षमतायें है, अपना एक व्यक्तित्व है। एक स्त्री के सर पर जब मां का पल्लू उड़ाया जाता है तो उसे लगता है अब उसका अस्तित्व रहा नहीं, अब सिर्फ आदर्श मां है जो इस स्त्री को उम्र भर बनना है और अगर वह नहीं बन पा रही है तो उसे लगता है उसी में कुछ गलत है। प्रकृति को भी हमने माँ का दर्ज़ा दे रखा है क्योंकि वो हमारा पालन और पोषण करती है मगर सिर्फ एक हद तक उसके बाद वो भी उतनी ही माँ नज़र आती है जितना किसी माँ को होना चाहिए। मुझे लगता है कि किसी भी किरदार को भगवान नहीं बनाना चाहिए क्योंकि लोग सोचने लगते हैं कि अब सारी जिम्मेदारी भगवान की ही तो है, लोगों को खुद कुछ करने की आवश्यकता नहीं है...

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13 JUN 2024 AT 22:27

Drops Which Trusted The Process,
Made Through The Journey,
And Reached Finally Where They Belong.

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